एनएमपी पर राहुल, ममता हुए मोदी सरकार पर हमलावर तो सीतारमण ने पलटवार कर पूछा मोनेटाइजेशन का मतलब

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, बंगाल की सीएम ममता के साथ छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने मोदी सरकार की राष्ट्रीय मौद्रिकरण पाइपलाइन (एनएमपी) पर सवाल उठाया तो वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पलटवार किया।

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, बंगाल की सीएम ममता के साथ छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने मोदी सरकार की राष्ट्रीय मौद्रिकरण पाइपलाइन (एनएमपी) पर सवाल उठाया तो वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पलटवार किया है। सीतारमण ने पूछा कि क्या राहुल मौद्रिकरण का मतलब समझते हैं। वह कांग्रेस थी जिसने देश के संसाधनों को बेचा और उसमें रिश्वत प्राप्त की।

राहुल ने आज IndiaOnSale टैग के साथ ट्विटर पर लिखा- सबसे पहले ईमान बेचा और अब…”। मंगलवार को राहुल गांधी ने कहा था कि पीएम नरेंद्र मोदी 70 साल में जनता के पैसे से बनी देश की संपत्तियों को अपने कुछ उद्योगपति मित्रों को बेच रहे हैं। इन संपत्तियों को बनाने में 70 साल लगे हैं। इनमें देश की जनता का लाखों करोड़ों रुपये लगे हैं। अब इन्हें तीन-चार उद्योगपतियों को उपहार में दिया जा रहा है। राहुल ने कहा था कि जिन उद्योगों में बहुत नुकसान हो, उन्हें उद्योगपतियों के हवाले किया जाना चाहिए न कि सभी को।

मोदी सरकार का 60 खरब की सरकारी संपत्ति को बेचने का प्लान

उधर, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी एनएमपी को लेकर केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा कि यह देश की संपत्ति बेचने की साजिश है। ये मोदी या भाजपा की संपत्ति नहीं हैं। उन्होंने एनएमपी को चौंकाने वाला और दुर्भाग्यपूर्ण फैसला करार देते हुए कहा कि इससे मिले पैसों का इस्तेमाल चुनाव के दौरान विपक्षी दलों के खिलाफ किया जाएगा।

छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने भी मोदी सरकार पर तीखा हमला करते हुए पूछा कि मैं आज फिर पूछ रहा हूं कि जो रेलवे स्टेशन को बेच रहे हो, ये क्या आपके “दादा जी” ने बनाया था? जो ये हवाई अड्डा अडानी को बेच दिए, ये क्या आपके “नाना जी” ने बनाये थे? उन्होंने कहा कि अब किसानों की जमीन पर नजर है। सरकार उनकी जमीन हड़पने की फिराक में है।

राहुल के सवाल पर सीतारमण ने तीखा हमला करते हुए कहा कि क्या वह इसके बारे में कोई जानकारी रखते हैं। उन्होंने याद दिलाया कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकारों ने मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे का मौद्रिकरण करके 8,000 करोड़ रुपये जुटाए। 2008 में मनमोहन सरकार ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन को पट्टे पर देने की कवायद शुरू कराई थी।

सीतारमण ने पूछा कि राहुल गांधी ने रेलवे स्टेशन को पट्टे पर देने के प्रस्ताव संबंधी दस्तावेज को क्यों नहीं फाड़ दिया। वह वास्तव में मौद्रिकरण के खिलाफ हैं, तो एनडीएलएस के मौद्रिकरण के आरएफपी को क्यों नहीं फाड़ दिया? अगर यह मौद्रिकरण है, तो क्या उन्होंने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन को बेच दिया? क्या अब इसका स्वामित्व जीजाजी के पास है?

वित्त मंत्री ने सोमवार को छह लाख करोड़ रुपये की एनएमपी की घोषणा की थी। इसके तहत यात्री ट्रेन, रेलवे स्टेशन से लेकर हवाई अड्डे, सड़कें और स्टेडियम का मौद्रिकरण शामिल हैं। सरकार का कहना है कि इन बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में निजी कंपनियों को शामिल कर संपत्तियों का विकास किया जाएगा। सीतारमण ने कहा कि संपत्ति मौद्रिकरण योजना में संपत्ति को बेचना शामिल नहीं है। संपत्ति सरकार को सौंप दी जाएगी।


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