2011 में पाकिस्तान में छिपे ओसामा बिन लादेन की पहचान करने के लिए भी बायोमेट्रिक्स का इस्तेमाल किया गया था. अमेरिका ने आतंकियों का पता लगाने के लिए अफगानिस्तान की 80 फीसदी आबादी का बायोमेट्रिक डेटा जमा किया था और ये सभी HIIDE डिवाइस में सुरक्षित थे.
द इंटरसेप्ट की एक रिपोर्ट मुताबिक हैंडहेल्ड इंटरएजेंसी आइडेंटिटी डिटेक्शन इक्विपमेंट यानी HIIDE डिवाइस पर तालिबान ने कब्जा कर लिया है. इस डिवाइस पर तालिबान के कब्जे से अमेरिका के होश उड़ गए हैं. (File Photo)
अफगानिस्तान पर कब्जा करने वाले तालिबान की ताकत से हर कोई हैरान है. दुनिया का हर व्यक्ति ये जानने के लिए व्याकुल है कि आखिर अमेरिका जैसा सुपर पावर भी तालिबान जैसे एक आतंकी संगठन से कैसे हार गया. आज हम आपको इसी तालिबान की ऐसी ताकत से मिलवाने जा रहे हैं, जो अब तक दुनिया के सामने नहीं आए थे. तालिबान की इस ताकत का नाम है 313 बदरी बटालियन. देखने में बिलकुल अमेरिका के मरीन कमांडो की तरह, वही अत्याधुनिक घातक अमेरिकी M4 राइफल, बॉडी आर्मर, नाइट विजन गॉगल्स, बुलेट प्रूफ जैकेट और हथियारों से लैस हमवी गाड़ी है.
आम तौर पर तालिबानी लड़ाके आपको सलवार कमीज और एके-47 को कंधे पर लटकाए दिखते होंगे, लेकिन इस 313 बदरी बटालियन को देखकर सुपर पावर अमेरिका भी दंग है, क्योंकि इनके पास अमेरिकी हथियार हैं. काबुल में प्रेसिडेंशियल पैलेस पर तालिबान की इसी ब्रिगेड का पहरा है. तालिबान ने अपने बदरी बटालियन के कमांडो को बेहद खास मकसद को पूरा करने के काबुल में तैनात किया है ताकि अफगान फोर्सेज किसी भी कीमत पर अफगानिस्तान के राष्ट्रपति भवन प्रेसिडेंशियल पैलेस पर कब्ज़ा ना कर सके.
तालिबान के बदले तेवर से खतरे में आम अफगानी
तालिबान के इसी बदले तेवर से आम अफगानी खतरे में है. खासतौर से वो अफगानी जो बीस साल तक आतंक के खिलाफ लड़ाई में अमेरिकी सेना का साथ देते रहे और ऐसे लोगों का अमेरिकियों ने जो बायोमैट्रिक डेटा तैयार किया था, वो भी तालिबान के हाथ लग चुका है. अमेरिकी सेना 20 साल तक अफगानिस्तान में दबदबा बनाए रही और तालिबानी आतंकियों को खदेड़ कर तोरा-बोरा की पहाड़ियों तक पहुंचा दिया.
उस वक्ते ये सफलता सिर्फ हथियारों के दम पर नहीं मिली थी. इसमें आम अफगानी भी थे, जो लगातार अमेरिकी सुरक्षा बलों की मदद कर रहे थे. अब इन मासूम मददगारों की जिंदगी पर मौत मंडरा रही है. तालिबानियों को इन अफगानी मददगारों की पूरी लिस्ट मिल गई है. तालिबान ने अमेरिकी सैन्य बायोमेट्रिक्स डिवाइसों को ही जब्त कर लिया है. इस डिवाइस में विदेशी सुरक्षाबलों की सहायता करने वाले अफगानिस्तान के लोगों की पूरी पहचान मौजूद थी. आप जानकर चौंकेंगे कि ये खुलासा भी अमेरिकी सैन्य अधिकारियों ने ही किया है.
HIIDE डिवाइस पर तालिबान ने किया कब्जा
द इंटरसेप्ट की एक रिपोर्ट मुताबिक हैंडहेल्ड इंटरएजेंसी आइडेंटिटी डिटेक्शन इक्विपमेंट यानी HIIDE डिवाइस पर तालिबान ने कब्जा कर लिया है. इस डिवाइस पर तालिबान के कब्जे से अमेरिका के होश उड़ गए हैं. अमेरिकी फौज के टॉप ऑफिसर चिंतित हैं. उन्हें डर है कि तालिबान इस डिवाइस में मौजूद डेटा का इस्तेमाल अपने एजेंडे के लिए कर सकता है. अमेरिका मददगारों को खोज खोज कर मौत के घाट उतार सकता है, क्योंकि HIIDE डिवाइस के जरिए बायोमेट्रिक डेटा की पहचान होती है जैसे कि आईरिस स्कैन, फिंगरप्रिंट. साथ ही संबंधित इंसान को लेकर और अधिक सैकड़ों जानकारियां.
हालांकि अब तक ये साफ नहीं है कि तालिबान ने इस डेटा को किस हद तक प्रोसेस किया है. अफगानिस्तान में आर्मी स्पेशल ऑपरेशन से जुड़े अधिकारिय़ों ने ही द इंटरसेप्ट को बताया है कि HIIDE डेटा को प्रोसेस करने के लिए तालिबान को कई एडवांस उपकरणों की जरूरत होगी, लेकिन डर इस बात का भी है कि इसमें पाकिस्तान, तालिबान की मदद कर सकता है. तालिबान के पास ऐसा कोई टूल नहीं है जिससे वो इसे प्रोसेस कर सकता है, लेकिन पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के पास ऐसे टूल हैं. ये डिवाइस कितना अहम इसे आप ऐसे भी समझ सकते हैं कि अमेरिकी सेना ने तालिबान के खिलाफ लंबे वक्त से HIIDE डिवाइस का इस्तेमाल किया है.
ओसामा बिन लादेन की पहचान करने के लिए भी बायोमेट्रिक्स का किया गया था इस्तेमाल
2011 में पाकिस्तान में छिपे ओसामा बिन लादेन की पहचान करने के लिए भी बायोमेट्रिक्स का इस्तेमाल किया गया था. अमेरिका ने आतंकियों का पता लगाने के लिए अफगानिस्तान की 80 फीसदी आबादी का बायोमेट्रिक डेटा जमा किया था और ये सभी HIIDE डिवाइस में सुरक्षित थे. अब ये डिवाइस तालिबान के कब्जे में हैं और यही वजह है कि तालिबान ने देश छोड़कर जा रहे अफगानियों पर सख्ती शुरू कर दी. काबुल एयरपोर्ट पर कई चेकपोस्ट बनाए गए हैं. यहां एयरपोर्ट जाने वाले अफगानियों को रोका जा रहा है. दस्तावेड जांचे जा रहे हैं. तालिबानी इंटरप्रेटर को गोली मार रहे हैं.
बुधवार को भी ऐसा ही हुआ जब विमान में चढ़ने के लिए लाइन में लगे इंटरप्रेटर को तालिबानी ने गोली मार दी. ये इंटरप्रेटर पहले फौज के साथ काम करता रहा है. डर का आलम ये है कि लोग पहचान छिपाने के लिए अपने कागजात जला रहे हैं. लोगों को डर है कि तालिबान की इंटेलिजेंस देर सबेर हर उस शख्स का पता लगा लेगी जिसने विदेशी सेना का साथ दिया. तालिबान ऐसे सभी लोगों पर जासूसी और देशद्रोह का आरोप लगाकर मौत की सजा दे सकता है. हालांकि तालिबान ने कई बार कहा है कि वो अफगान सरकार और विदेशी ताकतों के साथ काम करने वाले को कोई सजा नहीं देगा, लेकिन अमेरिका को तालिबान के इस वादे पर भरोसा नहीं है. ऐसे में अब देखना ये है कि तालिबान इन बायोमेट्रिक्स डिवाइसों के साथ क्या करता है.
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