पिता करते थे मारुति की फैक्ट्री में नौकरी, परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति को बनाया मजबूती, आज IPS हैं मोहिता शर्मा

IPS मोहिता शर्मा की कहानी किसी को भी प्रेरणा दे सकती है। मोहिता के पिता मारुति कार कंपनी में नौकरी करते थे। लेकिन बावजूद इसके उन्होंने UPSC में कामयाबी हासिल की।

UPSC में कई बार असफलता मिलने से कैंडिडेट्स का हौसला टूट जाता है। आज हम आपको मोहिता शर्मा की कहानी बताएंगे। मोहिता की कहानी कई लोगों को प्रेरणा दे सकती है। इनके लिए भी IPS तक का सफर आसान नहीं था और वह कई सालों से इसके लिए तैयारी कर रही थीं। आखिरकार साल 2017 में उन्हें इसमें कामयाबी हासिल हुई और वह आईपीएस बनने में कामयाब हुई थीं।

हिमाचल के कांगड़ा की रहने वाली मोहिता शर्मा के पिता मारुति कार की फैक्ट्री में नौकरी करते थे। यही वजह थी कि उनका परिवार दिल्ली शिफ्ट हो गया था। इसके बाद मोहिता की पढ़ाई दिल्ली पब्लिक स्कूल में हुई और बाद में उन्होंने इंजीनियरिंग करने का फैसला किया। साल 2012 में इंजीनियरिंग खत्म करने के बाद उन्होंने UPSC एग्जाम में बैठने का फैसला किया था। लेकिन उन्हें कोई ठीक सलाह देने वाला नहीं था।

मोहिता शर्मा को शुरुआत में इसकी वजह से काफी परेशानी हुई। उन्होंने इंटरनेट की मदद से भी बहुत ज्यादा पढ़ाई की। मोहिता ने एक इंटरव्यू में बताया था कि इंटरनेट की मदद से उन्होंने सिलेबस आराम से समझ लिया था। इसके बाद तैयारी शुरू की। शुरुआत में तैयारी में काफी परेशानी भी हुई, लेकिन नोट्स और अच्छी रणनीति ने इसमें मदद की। मोहिता ने पांचवे प्रयास में यूपीएससी जैसी परीक्षा में कामयाबी हासिल की थी। इससे पहले चार प्रयास में वह असफल हो गई थीं।

केबीसी में मिली कामयाबी: टीवी शो ‘कौन बनेगा करोड़पति’ में भी मोहिता हिस्सा ले चुकी हैं। यहां उन्होंने 1 करोड़ रुपए की राशि जीती थी। मोहिता ने बताया था कि उनके पति ने कई बार केबीसी के लिए ट्राई किया था, लेकिन उन्हें कामयाबी हासिल नहीं हो पाई थी। जबकि उन्हें पहले ही प्रयास में कामयाबी मिल गई थी और वह हॉट सीट तक पहुंच गई थीं। यहां उन्होंने 7 करोड़ के सवाल पर गेम क्विट कर दिया था।

जम्मू-कश्मीर कैडर: मोहिता को ट्रेनिंग पूरी करने के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से जम्मू-कश्मीर कैडर दिया गया था। इस साल अप्रैल में जम्मू की एसपी सिटी नॉर्थ का कार्यभार संभालने के बाद वह कोरोना संक्रमित हो गई थीं। इसके बाद मोहिता ने अपने घर को ही कार्यालय में तब्दील कर लिया था और ऑनलाइन ही सभी मीटिंग में हिस्सा ले रही थीं और ऑफिसर्स को निर्देश दे रही थीं। वह तीन बार चौकी प्रभारियों के साथ बैठक करती थीं।
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