- कॉपी लिंक

कोर्ट ने कहा कि ऐसे जघन्य आपराधों के खिलाफ कड़े कदम नहीं उठाए गए तो लोगों का भरोसा उठ जाएगा।
उत्तर प्रदेश में बच्चियों के साथ रेप और छेड़छाड़ जैसी घटनाओं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चिंता जताई है। कोर्ट कहा है कि ऐसे अपराधों पर रोक लगाए जाने की बात कही है। हाईकोर्ट ने 13 साल की 5वीं कक्षा की छात्रा से दुराचार के आरोपी को जमानत पर रिहा करने से इंकार करते हुए यह टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि ऐसे जघन्य आपराधों के खिलाफ कड़े कदम नहीं उठाए गए तो लोगों का भरोसा उठ जाएगा। न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने जसमान सिंह उर्फ पप्पू यादव की जमानत अर्जी पर यह फैसला सुनाया।
बच्चियों से दुराचार चिंता का विषय
कोर्ट ने कहा है कि याचिकाकर्ता ने जमानत अर्जी में तथ्य छिपाए हैं। उसने अर्जी में कहा कि उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है, जबकि सत्र अदालत के आदेश में ही 6 आपराधिक मामलों का उल्लेख है। कोर्ट में दाखिल अर्जी में याची की तरफ से कहा गय कि जमीन के विवाद के चलते उसे फर्जी केस में फंसाया गया है लेकिन अदालत के सामने उसका कोई तथ्य नहीं पेश कर पाया। कोर्ट ने कहा छोटी बच्ची जिसे सेक्स का मतलब नहीं मालूम, भारत में ऐसी बेटियों की पूजा होती है, उनके खिलाफ जघन्य दुराचार की घटनाएं बढ़ रही है। ज्यादातर परिवार इज्जत बचाने के लिए चुप रह जाते हैं, रिपोर्ट नहीं लिखाते।
आरोपी याचिकाकर्ता 16 फरवरी 2019 से जेल में बंद है
आरोपी याचिकार्ता के खिलाफ ललितपुर के जखौटा थाने में पीड़िता की चाची ने मामला दर्ज कराया था। जिसमें बताया गया था कि बच्ची का परिवार खेत में था, लड़की घर में अकेली थी और उसके साथ दुष्कर्म की घटना अंजाम दी। जब परिवार घर आया तो एक आरोपी दीवार कूदकर भाग गया और तीन मौके पर पकड़ लिए गए। लड़की को जब होश आया तो तो उसने पूरी घटना बताई। पीड़िता ने मजिस्ट्रेट के सामने बयान में भी आरोप दोहराए थे। आरोपी याचिकाकर्ता 16 फरवरी 2019 से जेल में बंद है।
Click Here to Subscribe
from COME IAS हिंदी https://ift.tt/380RoCx
एक टिप्पणी भेजें