महामारी से बड़ी राहत:WHO की चीफ साइंटिस्ट ने कहा- भारत में कोरोना संक्रमण एंडेमिक स्टेज में, अब इसके फैलने की दर काफी कम

  • हिंदी समाचार
  • राष्ट्रीय
  • भारत में COVID 19 अपडेट | डब्ल्यूएचओ की मुख्य वैज्ञानिक डॉ सौम्या स्वामीनाथन ने कहा, यह महामारी के चरण में हो सकती है
नई दिल्लीएक मिनट पहले
  • कॉपी लिंक
WHO की चीफ साइंटिस्ट डॉ. सौम्या स्वामीनाथन (फाइल) - Dainik Bhaskar

WHO की चीफ साइंटिस्ट डॉ. सौम्या स्वामीनाथन (फाइल)

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) की चीफ साइंटिस्ट डॉ. सौम्या स्वामीनाथन के मुताबिक, भारत में कोविड-19 अब एंडेमिक स्टेज में पहुंचता जा रहा है। इसके फैलने की दर पहले के मुकाबले काफी धीमी या कम हो चुकी है। तकनीकी तौर पर एंडेमिक स्टेज का मतलब किसी महामारी का असर कम लोगों या किसी खास इलाके तक सीमित रहने से है। इसके साथ ही वायरस भी कमजोर हो चुका होता है। इसके अलावा लोग भी इस बीमारी के साथ जीना सीख जाते हैं। भारत में दूसरी लहर के बाद कोरोना के मामले तेजी से कम हुए हैं।

कोवैक्सिन को मिलेगा क्लीयरेंस
भारत में बने कोरोना के टीके कोवैक्सिन को WHO के क्लीयरेंस पर सवाल पूछे जा रहे हैं। इस बारे में सौम्या ने कहा- मुझे भरोसा है कि WHO की टेक्निकल टीम इससे संतुष्ट होगी और इसे जल्द या सितंबर के मध्य तक ऑथोराइज्ड वैक्सीन का दर्जा प्राप्त हो जाएगा।

एक इंटरव्यू के दौरान WHO की चीफ साइंटिस्ट ने कहा- भारत के आकार, आबादी और इम्युनिटी स्टेटस को देखते हुए ये कहा जा सकता है कि मामले कम-ज्यादा होते रहेंगे। इसलिए हमारा मानना है कि भारत एंडेमिक स्टेज पर पहुंच रहा है। अब ये नहीं लगता कि कुछ महीने पहले जैसे हालात बने थे, वैसे अब हैं। हां, जिन इलाकों में पहली और दूसरी लहर के दौरान मामले कम थे या जहां संक्रमण का स्तर कम था, या फिर वैक्सीन कवरेज कम है- वहां आने वाले दिनों में मामले बढ़ सकते हैं।

वैक्सीनेशन पर फोकस
सौम्या ने कहा- हम उम्मीद करते हैं कि 2022 के आखिर तक हम 70% आबादी को वैक्सीनेट कर चुके होंगे। बच्चों को कोविड से होने वाले खतरे पर उन्होंने कहा- पैरेंट्स को डरने की जरूरत नहीं है। उनमें हल्के लक्षण ही ज्यादा होंगे। अब तक वे इस बीमारी से कम ही प्रभावित हुए हैं और हमने जो सर्वे कराए हैं, उनमें भी यही बातें सामने आई हैं। बहुत कम बच्चों में इसके गंभीर लक्षण पाए गए हैं। लेकिन, इसके बावजूद हमें तैयारी पूरी रखनी चाहिए। अस्पतालों में सही इंतजाम होने चाहिए। हजारों की तादाद में बच्चों को आईसीयू में पहुंचाना पड़े, ऐसा नहीं होगा।

दवाओं कितनी कारगर
रेमडेसिविर, एचसीक्यू और आइवरमेक्टिन के इस्तेमाल पर पूछे गए सवाल के जवाब में सौम्या ने कहा- अब तक इस बात के सबूत नहीं मिले हैं कि एचसीक्यू या आइवरमेक्टिन के इस्तेमाल से मौतों की दर कम हुई। इसलिए इन दवाओं को रिकमंड करने के बारे में हमने अब तक कुछ नहीं कहा है, क्योंकि इसके लिए सही आधार मौजूद नहीं है। तीसरी लहर की आशंकाओं के बारे में उन्होंने कहा- इस बारे में कोई भविष्यवाणी नहीं की जा सकती।

खबरें और भी हैं…
Tweets by ComeIas


from COME IAS हिंदी https://ift.tt/3gwkQoV

Post a Comment

और नया पुराने