भारत को आधुनिकता की अपनी यात्रा के लिए स्वाधीनता प्राप्ति का इंतजार नहीं करना पड़ा। देश की आजादी के पूर्व से ही भारतीय समाज में आधुनिकता के कई ऐसे लक्षण साफ-साफ विकसित होते देखे जा सकते हैं जिनमें एक तरफ परंपरा की ओर झुकाव है, तो वहीं दूसरी तरफ आधुनिक संस्कारों के प्रति दिली ललक। खासतौर पर महिलाओं के मामले में परंपरा और आधुनिकता की यह साझी यात्रा जिस तरह एक समन्वय को साधते हुए भारत में आगे बढ़ी, वह दिलचस्प है। यह दिलचस्पी तब और बढ़ जाती है जब हम कई मौजूदा आधुनिक मूल्यों और प्रचलनों के भारतीय आगाज और उससे जुड़ी शख्सियतों के बारे में जानने-समझने बैठते हैं। इंद्राणी रहमान ऐसी ही एक शख्सियत हैं। शास्त्रीय नृत्य से लेकर आधुनिक सौंदर्य प्रतियोगिता तक की कामयाबी और प्रसिद्धि के अपने चमकदार सफर में इंद्राणी ने खासतौर पर बीसवीं सदी के उत्तरार्ध की आधुनिक भारतीय महिला को नई धज और पहचान के साथ दुनिया के सामने पेश किया।
इंद्राणी का जन्म 19 सितंबर 1930 को मद्रास में भारतीय मूल के पिता रामलाल बलराम बाजपेयी तथा अमेरिकी मूल की मां रागिनी देवी (नी एस्तेला लुएला शर्मन) के यहां हुआ था। उनके पिता जानेमाने औषधि विशेषज्ञ थे। वे इंडो-अमेरिकन लीग के अध्यक्ष भी रहे। उनकी मां एक लोकप्रिय और प्रतिष्ठित कथकली नृत्यांगना थी। इंद्राणी ने नौ वर्ष की आयु में नृत्य की शिक्षा लेनी शुरू की और अपनी मां की कंपनी के साथ यूरोप और अमेरिका की कई यात्राएं की।
1940 के दशक में उन्होंने भरतनाट्यम नृत्य सीखा और कई विदेश दौरे किए। 1947 में एक ख्यातिप्राप्त कला समीक्षक डॉ चार्ल्स फेबरी के प्रोत्साहन पर उन्होंने कुचिपुड़ी नृत्य सीखा। वे एशिया सोसाइटी टूर का हिस्सा बनने वाली पहली नृत्यांगना थी।
भारतीय शास्त्रीय नृत्य की वैश्विक प्रसिद्धि में इंद्राणी रहमान का बड़ा योगदान है। नृत्य शिक्षण-प्रशिक्षण के लिए हॉर्वर्ड सहित कई अमेरिकी विश्वविद्यालयों से भी वे जुड़ीं। उन्हें जवाहरलाल नेहरू के अमेरिकी दौरे के दौरान तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी के सामने नृत्य प्रस्तुत करने का गरिमामय अवसर मिला। इसके अलावा उन्होंने महारानी एलिजाबेथ, फिदेल कास्त्रो, निकिता खुश्चेव के सामने भी अपनी कला का प्रदर्शन कर खूब वाहवाही लूटी। उन्हें संगीत नाटक अकादमी तथा तारकनाथ पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। 1969 में इंद्राणी को पद्मश्री से नवाजा गया।
इंद्राणी की प्रसिद्धि का एक पक्ष और भी है। दुनिया की पहली मिस यूनिवर्स सौंदर्य प्रतियोगिता 1952 में कैलिफोर्निया में हुई थी। इसमें इंद्राणी ने भारत का प्रतिनिधत्व किया था। इससे पहले ‘मिस इंडिया’ का खिताब वो अपने नाम कर चुकी थी। गौरतलब है कि तब वो एक बच्चे की मां थी और वो पहली मिस इंडिया थी, जिसने मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। इंद्राणी रहमान जब बिंदी और गजरे के साथ बिकिनी में मिस यूनिवर्स के मंच पर आईं तो सबकी निगाहें उनकी खूबसूरती पर टिक गईं।
हालांकि वो यह प्रतियोगिता नहीं जीत पाईं। पर भारतीय सौंदर्य के पारंपरिक उजास को बगैर गंवाए, जिस तरह इंद्राणी ने दुनिया के आगे खुद को पेश किया, उसकी चर्चा आज भी होती है। इंद्राणी की निजी जिंदगी भी काफी दिलचस्प रही। उन्होंने 15 साल की उम्र में 30 साल के हबीब रहमान से शादी कर ली थी। रहमान उस समय के जाने-माने वास्तुकार थे। उनका आखिरी वक्त अमेरिका में बीता। इंद्राणी का जीवन और यश आज भी भारतीय महिलाओं के लिए एक प्रेरक सुलेख की तरह है।
The post सौंदर्य का नर्तन इंद्राणी रहमान appeared first on Jansatta.
Click Here to Subscribe Newsletter
from COME IAS हिंदी https://ift.tt/3nITsrZ
एक टिप्पणी भेजें