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- दीवार में करंट दौड़ा, जान से खेलकर बारिश में काम करते कर्मचारी, इलाज के लिए लोको अस्पताल में भर्ती रेलकर्मी
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ट्रेनों के रखरखाव के लिए तैयार किए गए न्यू कोचिंग कॉन्प्लेक्स (वाशिंग लाइन) में शुक्रवार कार्य करने के दौरान एक रेलवे कर्मी चपेट में आ गया। कार्य करते वक़्त जैसे ही कर्मचारी दीवार के सहारे खड़ा हुआ वह करंट के चपेट में आ गया। बड़ी मुश्किल से साथ मे काम कर रहे सहयोगी कर्मचारी उसको करंट की चपेट से छुड़ा पाये। तब तक करंट लगने से वह कर्मचारी बेहोश हो गया था। उसकी हालत बहुत ज्यादा गम्भीर हो जाने पर आनन-फानन में उसे इलाज के लिए रेलवे के लोकों अस्पताल में भर्ती कराया। रेलवे कर्मचारी का इलाज चल रहा है, जहां उसकी हालत गंभीर बनी हुई है।
सहयोगी कर्मचारियों ने जान पर खेल कर बचाया
न्यू कोचिंग कॉन्प्लेक्स के खाली कोचों के डिरेल होने के कारण पटरी क्षतिग्रस्त हो गई थी। क्षतिग्रस्त ट्रैक की मरम्मत के लिए रात को ही रेलवे कर्मचारियों को बुला लिया गया था। कई विभागों के अधिकारी व कर्मचारी मौके पर पहुंच गए थे। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक सीएंडडब्लू विभाग का कर्मचारी अमरदीप भी अपने साथियों के साथ मरम्मत कार्य कर रहा था। अमरदीप ने मरम्मत कार्य के दौरान जैसे ही सहारा देने के लिए एक दीवाल पर अपने शरीर को लगाया वैसे वह करंट की चपेट में आ गया। इस बीच जब उसके सहयोगी कर्मचारियों की निगाह पड़ी तब उन्होंने मुश्किल से अमरदीप को करंट की चपेट से निकाला। तब तक अमरदीप बेहोश हो चुका था। साथी कर्मचारी पूरे मामले को समझने के बाद बिना किसी देरी के अमरदीप को लेकर लोको अस्पताल ले गए। जहां उसे इलाज के लिए भर्ती कराया गया। इस घटना के बाद अमरदीप के सहयोगी कर्मचारियों ने हंगामा शुरू कर दिया। अधिकारियों ने उन्हें किसी तरह से समझा-बुझाकर शांत किया। इधर मौके पर मौजूद डीएमई नितेश कुमार गुप्ता ने फोन पर कर्मचारी को करंट लगने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अस्पताल से जानकारी ले कर बताएंगे
कॉम्प्लेक्स की कई दीवारों पर बहता है करंट
रेलवे कर्मचारी मौत के साए में बारिश में काम करते हैं। कैरिज एंड वैगन विभाग काम करने वाले कर्मचारियों ने साथी कर्मचारी को करंट लगने पर हंगामा तो किया ही उसके बाद उन्होंने शीर्ष अधिकारियों को नाराजगी के साथ दीवारों में बहते करंट को खत्म करने की मांग रखी। उनका कहना है कि बारिश में कैरिज एंड वैगन विभाग की दीवारों में करंट आ जाता है। जिससे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। कई बार विभाग में शिकायत की गई, लेकिन किसी तरह का सुधार नहीं हो सका। यदि समय रहते सुधार हो गया होता तो आज अमरदीप को करंट नहीं लगता। जानकारी के मुताबिक विभाग के तीन से चार दीवारों में करंट बहता है। लेकिन शिकायत के बावजूद किसी तरह का कोई सुधार नहीं किया गया है। इसी का नतीजा है कि आज एक कर्मचारी जिंदगी और मौत से जूझ रहा है।
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