गोरखपुर के एक डॉक्टर ने जब लाखों के पैकेज की नौकरी छोड़ यूपीएससी की तैयारी करने के लिए सोचा, तो घरवालों की भी नाराजगी झेलनी पड़ी। आईएएस धीरज कुमार सिंह के साथ हुई एक घटना ने उन्हें सिविल सर्विस की ओर मोड़ दिया।
यहां से शुरू हुआ संघर्ष- ये कहानी है यूपी के गोरखपुर जिले के आईएएस धीरज कुमार सिंह की। दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए गए एक इंटरव्यू में धीरज बताते हैं कि उनका सपना डॉक्टरी की पढ़ाई में जाने तक आईएएस बनने का नहीं था। पिता पुलिस कांस्टेबल थे, जो अक्सर नौकरी के सिलसिले में घर से बाहर रहते थे। धीरज 12वीं तक हिन्दी मीडियम से पढ़ने वाले मध्यमवर्गीय परिवार के बेटे थे। 12वीं के बाद उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से एमबीबीएस और एमडी की पढ़ाई की।
जब घटी वो घटना– धीरज जब डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहे थे, तो उनकी मां की तबीयत ज्यादातर खराब रह रही थी। पिता नौकरी के सिलसिले में घर से बाहर रहते थे। ऐसे में धीरज को कई बार पढ़ाई छोड़कर, मां की देखभाल के लिए घर जाना पड़ता था। एक दिन धीरज ने सोचा कि अगर पिता का ट्रांसफर घर के पास हो जाए तो उनकी पढ़ाई और मां की देखभाल दोनों हो जाएगी। इसी सिलसिले में धीरज एक पुलिस अधिकारी से मिलने के लिए पहुंच गए।
उन्होंन उनसे आग्रह किया कि पिता का ट्रांसफर घर के पास कर दी जाए। कारण भी बताया, लेकिन अधिकारी ने उनसे सही से बात भी नहीं की। यहीं से धीरज का मन यूपीएससी (UPSC) की तरफ मुड़ गया, लेकिन उस समय उन्होंने घर वालों को कुछ नहीं कहा।
जब घरवालों ने किया विरोध- धीरज ने डॉक्टरी की पढ़ाई खत्म की, नौकरी भी मिल गई। तब उन्हें पांच लाख रुपये सैलरी के रूप में मिलते थे। जब उन्होंने अपने घरवालों को यूपीएससी (UPSC) के बारे में बताया। घरवालों ने धीरज के इस फैसले का विरोध किया, कहा कि इतनी अच्छी नौकरी, अच्छी सैलरी छोड़कर यूपीएससी की तैयारी क्यों करनी है। दोस्तों ने भी समझाया, लेकिन धीरज तो फैसला कर चुके थे, सो उन्होंने तैयारी शुरू कर दी।
डॉक्टर बन गए आईएएस- धीरज पढ़ने में तेज तो थे ही, मन में एक टीस भी थी। उन्होंने जमकर मेहनत किया। पहली बार जब वो यूपीएससी (UPSC) की परीक्षा में बैठे तो किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि ये डॉक्टर एक अलग ही इतिहास बनाने जा रहा है। परीक्षा सही से हो गई। रिजल्ट जब आया तो धीरज को ऑल इंडिया 64वां रैंक मिला। एक डॉक्टर जिसकी तनख्वाह पांच लाख रुपये था, अब वो आईएएस बनने जा रहे थे। घर वाले जो शुरू में थोड़े खफा थे, धीरज की रिजल्ट से वो भी खूशी से झूम उठे।
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