आशा पारेख को गर्भ में लेकर उनकी मां आजादी की लड़ाई में कूद पड़ीं थीं। उन्हें रोका गया तब जाकर कहीं उन्होंने अपने कदम पीछे खींचे थे।
इस बात का जिक्र खुद आशा पारेख ने किया था। अनु कपूर के रेडियो शो, ‘सुहाना सफर विद अनु कपूर’ में आशा पारेख ने बताया था, ‘मेरी मां सुधा पारेख फ्रीडम फाइटर थीं। 1942 की आजादी की लड़ाई चल रही थी। मेरी मां विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहीं थीं। तब मेरे चाचा ने देखा कि ये तो पूरी प्रेग्नेंट है और ये क्या कर रही है।’
आशा पारेख ने आगे कहा था, ‘वो दौड़ते हुए आए और उन्होंने मां से कहा कि आपके ससुर जी बुला रहे हैं। इसलिए उन्हें मोर्चा छोड़कर आना पड़ा था। नहीं तो शायद मैं जेल में ही पैदा हुई होती।’
आशा पारेख को पहली बार उनकी मां ने ही डांस के लिए प्रेरित किया था। उन्होंने देखा कि संगीत बजने पर आशा पारेख के पैर थिरकने लगते हैं तो उन्हें नृत्य की शिक्षा दिलानी शुरू कर दी। आशा पारेख ने आगे बताया था, ‘प्रेमनाथ जी ने मुझे डांस करते हुए देखा तो कहा कि ये लड़की तो बहुत अच्छा डांस करती है। तो वो वीणा राय जी को ले आए, मधुबाला जी को ले आए कि इस लड़की को डांस करते हुए देखो।’
आशा पारेख को उनके डांस के कारण ही 10 साल की उम्र में पहली फिल्म मिली। बिमल रॉय ने उन्हें 1952 की फिल्म ‘मां’ में कास्ट किया था। इसके दो सालों बाद आशा पारेख एक और फिल्म में दिखीं, ‘बेटी’। आशा पारेख चैतन्य महाप्रभु में भी दिखी थीं। इसके बाद आशा पारेख ने अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना शुरू किया।
आशा पारेख को अगला बड़ा प्रोजेक्ट मिला, ‘गूंज उठी शहनाई’ के रूप में। फिल्म की शूटिंग शुरू हुई और इसके दो दिनों बाद ही उन्हें फिल्म से यह कहते हुए निकाल दिया कि आशा पारेख स्टार मैटेरियल नहीं हैं। लेकिन इसके कुछ दिनों के बाद ही आशा पारेख को दिल देके देखो’ फिल्म मिल गई। इस फिल्म में आशा पारेख और शम्मी कपूर की जोड़ी ने खूब धमाल मचाया और आशा पारेख हिंदी सिनेमा की स्थापित अभिनेत्री बन गईं।
जीमेल पर पोस्ट का नोटिफिकेशन पाएं सबसे पहले। अभी सब्सक्राइब करें।
from COME IAS हिंदी https://ift.tt/3b6hi9S
एक टिप्पणी भेजें