पंजाब में इस समय बीजेपी के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं है। कृषि कानून को लेकर अकाली दल से अलग होने के बाद पंजाब में बीजेपी की नैया बिना खेवनहार के है। ऐसे में कैप्टन अमरिंदर सिंह की ओर से नई पार्टी बनाए जाने के ऐलान के बाद और कैप्टन द्वारा बीजेपी से गठबंधन की बात कहे जाने से भारतीय जनता पार्टी के लिए एक उम्मीद जगी है। हालांकि, कैप्टन ने कहा कि कृषि सुधार कानूनों का मसला हल होने के बाद ही वे बीजेपी से गठबंधन करेंगे।
क्या कैप्टन अपनी शर्तों पर बीजेपी को मनवा पाएंगे?
कैप्टन ने बीजेपी से किसी भी तरह के वैचारिक दिक्कत पर कहा कि वह पंजाब के साथ खड़े हैं। इससे साफ है कि कैप्टन पंजाब में किसानों की अहमियत समझते हैं। वहीं, अमरिंदर ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी सांप्रदायिक पार्टी नहीं है। कैप्टन ने बीजेपी के एंटी मुस्लिम होने को भी गलत करार दिया। कहा कि मोदी सरकार का किसान आंदोलन से पहले पंजाब में कोई विरोध नहीं था। कैप्टन की इतनी बातों से इतना तो साफ है कि वह पंजाब में बैठकर दिल्ली तक अपनी पैठ बनाना चाहते हैं और इसके लिए बीजेपी का साथ जरूरी है, लेकिन क्या किसान हित की बात करने वाले अमरिंदर सिंह बीजेपी को अपनी शर्तों पर मनवा पाएंगे?पंजाब में एक-दूसरे के पूरक हो सकते हैं अमरिंदर और बीजेपी
पंजाब विधानसभा चुनाव में जहां गिने हुए महीने रह गए तो वहीं कैप्टन अमरिंदर सिंह और बीजेपी खुद को मजबूत करने में जुटी है। यह तभी संभव है जब बीजेपी को एक मजबूत चेहरा पंजाब में मिल जाए। वहीं, कैप्टन अगर खुद को पंजाब में किसानों के हित में कुछ कर पाते हैं तो यह उनके लिए बड़ी बात होगी और इसके लिए बीजेपी का साथ जरुरी है। दोनों इस बात को भली प्रकार से जानते हैं कि पंजाब में किसानों को अलग करके कुछ भी संभव नहीं है और दोनों को इस समय एक-दूसरे की जरूरत है।
लिखित में MSP दिलवाने में सफल रहे कैप्टन तो बन सकते हैं हीरो
कृषि कानूनों में एमएसपी प्रमुख मुद्दा है। कई बार किसान लिखित में एमएसपी गारंटी की मांग कर चुके हैं। अगर कैप्टन अमरिंदर सिंह बीजेपी से इसको मनवाने में सफल होते हैं तो ये उनके लिए बड़ी उपलब्धि होगी। वहीं, कुछ दिन पहले कैप्टन और अमित शाह के बीच 45 मिनट तक मुलाकात हुई थी। मुलाकात के बाद कैप्टन ने कहा था कि अमित शाह से कृषि कानूनों के खिलाफ काफी समय से चल रहे किसान आंदोलन पर चर्चा की। अमित शाह से फसलों के विविधीकरण में पंजाब का समर्थन करने के अलावा कानूनों को रद करने और एमएसपी की गारंटी संग संकट को तत्काल हल करने का आग्रह किया।
राष्ट्रवाद पर कैप्टन और बीजेपी के एक सुर
अगर बात राष्ट्रवाद की करें तो बीजेपी और कैप्टन के सुर एक ही हैं। कई सार्वजनिक मंच से कैप्टन अमरिंदर सिंह देश की सुरक्षा के लिए बीजेपी के कई फैसलों का समर्थन कर चुके हैं। यही नहीं कैप्टन ने सिद्धू पर दिए बयान से साफ है कि वह राष्ट्रवाद के प्रति कितना मुखर हैं। वहीं, बीजेपी नेता कैप्टन में राष्ट्रवाद को देख रहे हैं और उन्हें राष्ट्रवादी करार दे रहे हैं।
तो इसलिए बीजेपी में नहीं शामिल हुए अमरिंदर सिंह
अमरिंदर के इस बयान के पीछे रणनीति को देखें तो बीजेपी में शामिल होना उनके लिए फायदे का सौदा नहीं होगा, बल्कि उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता था। अमरिंदर तीनों कृषि कानून के मुखर विरोधी रहे हैं और उन्होंने किसान आंदोलन का समर्थन भी किया था। आंदोलन में पंजाब के किसानों की तादाद अधिक है जो कांग्रेस का समर्थन करते आए हैं। ऐसे में चुनाव से पहले अमरिंदर के लिए उनकी नाराजगी मोल लेना ठीक नहीं होगा।
पहले भी अलग पार्टी बना चुके हैं अमरिंदर
अब अमरिंदर के पास नई पार्टी लॉन्च करने का विकल्प बचा है। अमरिंदर एक बार पहले भी 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार के विरोध में कांग्रेस से नाता तोड़ चुके हैं। वह कुछ समय के लिए अकाली दल में रहे। फिर पार्टी से अलग होकर 1992 में उन्होंने अकाली दल पंथिक पार्टी बनाई। 1998 में अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया था।

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