वहीं पश्चिम बंगाल के नेताओं के गुट का कहना है कि देश के सबसे बड़े विपक्षी दल (कांग्रेस) से गठबंधन के बिना कोई भी गठबंधन करना पार्टी के लिए अव्यावहारिक ही साबित होगा। ऐसे में राष्ट्रीय स्तर और क्षेत्रीय स्तर पर अलग-अलग नीति बनाने की जरूरत है। फिलहाल इस बैठक में आगे की रणनीति तय की जायेगी।
पिछले हफ्ते ही सीपीएम की पत्रिका चिन्था के एक लेख में, केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने लिखा था कि कांग्रेस विपक्ष की धुरी नहीं हो सकती। सभी राज्यों में, केरल को छोड़कर, कांग्रेस के नेता बीजेपी में शामिल होने के लिए पार्टी छोड़ रहे हैं और इसलिए दोनों के बीच बहुत कम विशिष्ट अंतर हैं।
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