- हिंदी समाचार
- स्थानीय
- Uttar pradesh
- गोरखपुर
- जा जन जा जी ले अपने लाइफ, क्राइम के 19 घंटे बाद आरोपी इंस्पेक्टर और पुलिसकर्मी आराम से भाग निकले; 96 घंटे तक चला मोबाइल, सस्पेंड होने के बाद भी थाने में लिखा था जीडी
- कॉपी लिंक

सस्पेंड होने के करीब 6 घंटे बाद थाने की जीडी में बकायदा लिखा पढ़ी की और फिर आराम से फरार हो गए।
कानपुर से दोस्तों संग गोरखपुर घुमने आए प्रापर्टी डीलर मनीष गुप्ता हत्याकांड में इस वारदात के बाद एक नहीं बल्कि शुरू की की जा रही कई चुकें सामने आती जा रही हैं। एक ओर कानपुर SIT इस वारदात से जुड़ी हर एक परत उदेड़ती जा रही है तो वहीं दूसरी ओर इस वारदात में शामिल आरोपितों के काले चिट्ठे भी जग जाहिर हो रहे हैंं। वहीं, इस मामले में अब एक नया खुलासा हुआ है। पूरी फिल्म सीन की तरह इस घटना की स्क्रिप्ट में आरोपी इंस्पेक्टर जेएन सिंह और सब इंस्पेक्टर अक्षय मिश्रा को पूरे फिल्मी स्टाइल में भागने का मौका दिया गया। शायद यही वजह है कि दोनों ने वारदात के करीब 19 घंटे और सस्पेंड होने के करीब 6 घंटे बाद थाने की जीडी में बकायदा लिखा पढ़ी की और फिर आराम से फरार हो गए।
28 को हुई FIR, 2 अक्टूबर तक चालू था प्राइवेट नंबर
हद तो तब हो गई, जब इसी दौरान गोरखपुर के पुलिस अधिकारियों का बयान आता है कि उनकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस टीमें लगाई गई हैं। जबकि वारदात के बाद नहीं बल्कि वारदात के अगले दिन मामला तूल पकड़ने के 96 घंटे बाद तक आरोपित इंस्पेक्टर का मोबाइल भी चालू रहा। यानी कि 2 अक्टूबर गुरुवार की सुबह 11.24 बजे तक जेएन सिंह ने अपने प्राइवेट नंबर का व्हाट्सअप भी चेक किया है। उसका लास्ट सीन गुरुवार सुबह 11.24 बजे बजे दिखा रहा है। बावजूद इसके पुलिस उसका बाल तक बांका नहीं कर सकी। यह बात थोड़ी अटपती जरूर लगेगी, लेकिन पूरी तरह सही है। आरोपित इंस्पेक्टर जेएन सिंह और चौकी इंचार्ज अक्षय मिश्रा ने खुद को बीमार बताकर थाने की जीडी से अपनी रवानगी की है। जबकि इससे पहले वह सस्पेंड हो चुके थे।
…तो इंस्पेक्टर को मिल गया था भागने का इशारा?
27 सितम्बर की देर रात हुई घटना को इंसपेक्टर ने रामगढ़ताल थाने की जीडी में 28 सितम्बर की देर शाम को दर्ज किया है। जीडी नम्बर 041 पर 28 सितम्बर को 19.48 बजे जीडी में डाले गए इस तस्करा ने भी गोरखपुर पुलिस पर अब बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। जिस वक्त मृतक का परिवार यहां बीआरडी मेडिकल कॉलेज में धरना- प्रदर्शन कर पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर की मांग कर रहा था। ठीक उसी वक्त जीएन सिंह अपनी थाने में जीडी लिख अपनी कहानी गढ़ रहा था।
इसके बाद वह थाने का सीयूजी मोबाइल कांस्टेबल मुंशी हरीश कुमार गुप्ता को सुपुर्द करते हुए हिदायत दी है कि इसे एसएसआई अरुण कुमार चौबे को सुपुर्द करने की बात कहकर रात में लखनऊ के नम्बर की काली स्कार्पियो से निकल गया था। यानी कि उसे पहले ही इस बात का इशारा मिल चुका था कि अब उसे क्या करना है?
यह है जेएन सिंह की कहानी
जेएन सिंह ने जीडा में लिखा है कि रात्रि जागरण के कारण हमराह उ.नि. अक्षय कुमार मिश्र की एवं मुझ प्रभारी निरीक्षक की तबीयत खराब हो गई है। उ.नि. अक्षय कुमार मिश्र को इलाज कराने के लिए रवाना किया गया है। उनके पास मौजूद पिस्टल और 10 चक्र कारतूस था जिसे कार्यालय दाखिल किया गया है। उसके बाद अपने लिए लिखा है कि चूंकि मुझ प्रभारी निरीक्षक की तबीयत भी खराब है। अत: खुद की बीमारी का तस्करा डालते हुए इलाज कराने को रवाना होना दर्ज किया है और रवाना होने से पहले अपने पास मौजूद रिवाल्वर मय कारतूस कार्यालय में दाखिल किया है। सीयूजी मोबाइल को कांस्टेबल मुंशी हरीश कुमार गुप्ता को सुपुर्द करते हुए हिदायत दी है कि इसे वरिष्ठ उ.नि. अरुण कुमार चौबे को सुपुर्द करें। अंत में तस्करा वापसी व बीमारी अंकित किया है।
जीडी में सिर्फ एक सच
इंस्पेक्टर जेएन सिंह ने अपनी झूठ की कहानी से गढ़ी गई जीडी में एक बात सच लिखी है, वह है दरोगा विजय यादव और दरोगा राहुल दुबे को लेकर। जीएन सिंह ने लिखा है कि मनीष गुप्ता के घायल होने के बाद उसने अपने हमराह से कहा कि था विजय यादव और राहुल दुबे को बुलाने के लिए। विजय यादव का इलाका नौकायन चौकी क्षेत्र है। वह राहुल दुबे के साथ मौजूद थे। फोन के बाद दोनों हास्पिटल पहुंचे थे और मानसी हास्पिटल तक साथ गए थे।
हालांकि जेएन सिंह ने जीडी में लिखा है कि दोनों उन्हें लेकर जिला अस्पताल और फिर मेडिकल कालेज गए थे। यही नहीं इस बात का भी जिक्र किया है कि इन दोनों दरोगा को मृतक की निगरानी के लिए मेडिकल कालेज में मौके पर ही छोड़ दिया था। हालांकि मेडिकल कालेज के ट्रामा सेंटर पर जो पर्चा बनाया गया है उसमें मनीष गुप्ता को मेडिकल कालेज लेकर आने में रामगढ़ताल थाना के एसआई अजय कुमार का जिक्र है।
Click Here to Subscribe
from COME IAS हिंदी https://ift.tt/3iAOL0a
एक टिप्पणी भेजें