justice chandrachud repeated words of tilak: Supreme Court Judge Repeats Last Words Of Bal Gangadhar Tilak At Trial: केस की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट जज ने दोहराए बाल गंगाधर तिलक के वो अंतिम शब्‍द

नई दिल्‍ली
सुप्रीम कोर्ट में एक केस की सुनवाई के दौरान सोमवार को अचानक माहौल पूरी तरह बदल गया। मामले की सुनवाई वर्चुअल तरीके से हो रही थी। तभी न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी के पीछे लगी ऐतिहासिक पेंटिंग का जिक्र किया। कोर्ट रियल एस्टेट डेवलपर सुपरटेक की एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें पूर्व अटॉर्नी जनरल कंपनी का प्रतिनिधित्व कर रहे थे।जस्टिस चंद्रचूड़ ने सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी के ऑफिस के बैकग्राउंड में लगी पेंटिंग की प्रशंसा की। कहा, ‘बाल गंगाधर तिलक के मुकदमे के दौरान यह बॉम्बे हाई कोर्ट का केंद्रीय हॉल है।’ पूर्व अटॉर्नी जनरल ने तारीफ के लिए जस्टिस चंद्रचूड़ का शुक्रिया अदा किया।

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यही नहीं, न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने तिलक के उन अंतिम शब्दों को भी दोहराया जो इस मुकदमे के दौरान उन्‍होंने बोले थे। ये शब्‍द उन्‍हें अक्षरश: याद थे। तिलक के उन शब्‍दों को याद करते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ बोले, ‘जूरी के फैसले के बावजूद मैं मानता हूं कि मैं निर्दोष हूं। ऐसी ज्‍यादा बड़ी शक्तियां हैं जो पुरुषों और राष्ट्रों के भाग्य को नियंत्रित करती हैं। यह ईश्‍वर की इच्छा हो सकती है कि जिस उद्देश्‍य का मैं प्रतिनिधित्व कर रहा हूं वह मेरे स्‍वतंत्र होने की तुलना में मेरे दुख से अधिक फले और फूले।’

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1907 में बॉम्‍बे हाई कोर्ट में बाल गंगाधर तिलक पर मुकदमा चला था। इस मुकदमे की पेंटिंग देखते ही चंद्रचूड़ उत्‍साहित होकर यह सबकुछ बोले। जस्टिस चंद्रचूड़ कई सालों तक बॉम्बे हाई कोर्ट में बतौर वकील प्रैक्टिस कर चुके हैं। बाद में उन्हें बॉम्बे हाई कोर्ट में जज के रूप में भी नियुक्त किया गया।

तिलक के अंतिम शब्दों के साथ एक पट्टिका और उनके ऐतिहासिक मुकदमे के दृश्य को दर्शाने वाली एक पेंटिंग सेंट्रल कोर्ट के बाहर बॉम्बे हाई कोर्ट की दूसरी मंजिल पर लगी है। यहां लोकमान्य तिलक पर मुकदमा चला था। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि वह बॉम्बे हाई कोर्ट के समय में तिलक के इन शब्‍दों को रोज पढ़ा करते थे।

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