हरविंदर सिंह ने साल 2018 में UPSC एग्जाम क्लियर किया था। आज भले ही वह IAS अधिकारी हैं, लेकिन उनका सफर भी कम मुश्किल नहीं था। बचपन में उनका एक्सीडेंट हो गया था।
हरविंदर सिंह याद करते हैं, ‘वो एक बड़ा हादसा था और उसके बाद कभी मेरे हाथ की तीन अंगुलियां सीधी नहीं हो पाईं। मैं बचपन से ही आर्मी में जाना चाहता था। मैंने पहली बार NDA का एग्जाम दिया। पहले ही प्रयास में कामयाबी मिल गई, लेकिन मेडिकल में मुझे बाहर कर दिया गया। वहां मुझे सलाह दी कि इसकी सर्जरी करवा लो तो ठीक रहेगी। मैंने दोबारा एनडीए का एग्जाम दिया और सर्जरी भी करवा ली थी।’
दूसरी बार हो गए थे बाहर: हरविंदर सिंह ने बताया था, ‘दूसरी बार भी उन्होंने एनडीए का एग्जाम क्लियर कर लिया था। लेकिन उस समय मेरे हाथ पर टांके दिख रहे थे तो दूसरी बार फिर से बाहर हो गया। इसके बाद मैंने इंजीनियरिंग की, लेकिन मेरी नौकरी नहीं लग पाई। ग्रेजुएट होने के कुछ समय बाद मेरी सिविल इंजीनियर के रूप में नौकरी लगी। तब मेरे पिता खेती करते थे और समय मिलने पर पार्ट टाइम ट्रक भी चलाया करते थे।’
नौकरी के दौरान ही हरविंदर सिंह ने यूपीएससी सिविल सर्विस एग्जाम देने का फैसला किया था। लेकिन उनके सामने नौकरी नहीं छोड़ने का सवाल जरूर था। पहले प्रयास में वह प्रीलिम्स से ही बाहर हो गए। दूसरे प्रयास में वह मेन्स तक पहुंचे, लेकिन क्लियर नहीं कर पाए। तीसरे प्रयास के लिए उन्होंने अपनी गलतियों पर काम करना शुरू किया, क्योंकि ये उन्होंने अपना आखिरी प्रयास समझकर दिया था। आखिरकार तीसरे प्रयास में उन्हें कामयाबी मिल गई। उनकी 355 रैंक आई थी और उनका चयन IAS में हो गया था।
हरविंदर को जम्मू एवं कश्मीर कैडर मिला था और अभी वह यहीं सेवाएं दे रहे हैं। हरविंदर से जब उनकी कामयाबी के बारे में पूछा गया था तो उन्होंने कहा था कि अपने ऊपर विश्वास और मेहनत यही दो चीजों से आप कामयाबी हासिल कर सकते हैं।
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