राकेश टिकैत के सामने बैठकर हास्य कवि ने अपने अंदाज में पूछे सवाल, क्रिकेट से लेकर लाल किले पर हुई हिंसा का मामला उठाया, कहा- ‘आपसा कोई नहीं-कोई नहीं’



टिकैत ने कहा था कि भारत की हार के पीछे मोदी सरकार थी। उनका कहना था कि सत्ता में बैठे लोग नहीं चाहते कि हिंदू मुस्लिमों के बीच एकता कायम रहे। इसके लिए जरूरी था कि भारत मैच हारे। इसी वजह से विश्व कप मैच के परिणाम को सरकार के हिसाब से तय किया गया।

मौका था हास्य कवि सम्मेलन का और माहौल भी ऐसा बना कि बरबस ही लोग हंस पड़े। एक कवि ने किसान नेता राकेश टिकैत पर कविता पढ़ी। इसमें उनकी तमाम विवादित बातों को सुंदर तरीके से संजोया गया। कवि ने उनके कसीदे पढ़ने के साथ कटाक्ष करने में कोई कसर बाकी नहीं रखी। इतने रसीले अंदाज में बातों को रखा गया कि टिकैत भी मुस्कुरा उठे।

न्यूज 18 के प्रोग्राम लपेटे में नेताजी में गौरव चौहान के पिटारे से कविता ‘आपसा कोई नहीं-कोई नहीं’ निकली। उन्होंने कविता में ही राकेश टिकैत से पूछे सवाल। शुरुआत में ही उन्होंने टिकैत की शान में कसीदे पढ़ते हुए कहा कि जब से आंदोलन छेड़ा है तब से टीवी के लिए वही सबसे ज्यादा टीआरपी बटोर रहे हैं। टीवी चैनलों को अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए किसान नेता का सहारा लेना पड़ रहा है, जिससे वह टीवी पर छाए हैं।

अगली लाइन में उन्होंने किसान नेता पर तंज कसते हुए कहा कि वैसे तो वह किसान नेता हैं लेकिन सबसे ज्यादा जमीन उनके पास है। इसके बाद उन्होंने भारत पाक मैच का जिक्र करते हुए टिकैत पर तंज कस डाला। उनका सवाल था कि भारत अपने पड़ोसी देश से विश्व कप में हारने वाला है, यह बात उन्हें कैसे पता चली। कवि का कटाक्ष था कि इतनी बारीक बातों को किसान नेता किस तरह से समझ जाते हैं।

ध्यान रहे कि टिकैत ने कहा था कि भारत की हार के पीछे मोदी सरकार थी। उनका कहना था कि सत्ता में बैठे लोग नहीं चाहते कि हिंदू मुस्लिमों के बीच एकता कायम रहे। इसके लिए जरूरी था कि भारत मैच हारे। इसी वजह से विश्व कप मैच के परिणाम को सरकार के हिसाब से तय किया गया। सरकार को चुनाव जीतने के लिए दोनों समुदायों के बीच तनाव चाहिए था। मैच में कोहली की टीम की हार के बाद यह होता भी दिखा।

गौरव चौहान ने इसके बाद लाल किला हिंसा और किसान आंदोलन में खालिस्तानी दखल को लेकर भी टिकैत पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि किसान नेता वाकई अनोखे हैं। वह हर काम अपने हिसाब से करते हैं और किसी की भी परवाह नहीं करते। कवि सम्मेलन में इस दौरान हंसी ठिठौली होती देखी गआ। कवि की बातों पर टिकैत का चेहरा भी खिलखिलाता हुआ दिखा। इस दौरान अन्य कवियों ने भी अपनी तुकबंदी सामने रखीं।





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