IAS रितिका जिंदल: 22 साल की उम्र में UPSC क्रैक कर बनाया था रिकॉर्ड, अधिकारी बनीं तो हिमाचल में तोड़ी बरसों पुरानी परंपरा



IAS अधिकारी रितिका जिंदल इस समय सोशल मीडिया पर खूब ट्रेंड कर रही हैं। रिपोर्टों के अनुसार, जिंदल को हिमाचल प्रदेश के सोलन के शूलिनी मंदिर में इस वजह से हवन में भाग लेने से मना कर दिया गया था, क्योंकि वह एक महिला हैं।

यह घटना नवरात्रि के आठवें दिन मनाई जाने वाली अष्टमी को हुई थी, जिस दिन कई हिंदू घरों में लड़कियों को देवी दुर्गा के अवतार के रूप में पूजा जाता है।

रितिका जिंदल के कार्यों से उन्हें प्रशंसा भी मिली है और आलोचना का सामना भी करना पड़ा है। दरअसल 24 अक्टूबर को दुर्गा अष्टमी के अवसर पर जिंदल की शूलिनी मंदिर में ड्यूटी लगी थी।

इस मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर कोई प्रतिबंध नहीं था, लेकिन यहां परंपरा ये है कि कोई भी महिला मंदिर में आयोजित होने वाले हवन का हिस्सा नहीं बन सकती है।

जिस समय मंदिर में हवन चल रहा था, जिंदल ने इसमें भाग लेने की अनुमति मांगी, लेकिन उन्हें पुजारियों के विरोध का सामना करना पड़ा। जिसके बाद जिंदल ने कहा था कि इस तरह की मानसिकता को बदलने की जरूरत है।

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हिंदी अखबार अमर उजाला से बात करते हुए जिंदल ने कहा था कि हम दुर्गा अष्टमी पर महिलाओं के सम्मान की बात करते हैं, लेकिन उन्हें उनके अधिकारों से वंचित कर दिया गया है। मैं वहां की व्यवस्थाओं का निरीक्षण करने मंदिर गई थी। महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने और पूजा करने की अनुमति थी, लेकिन उन्हें हवन के लिए बैठने की अनुमति नहीं थी। ये जानकर मुझे आश्चर्य हुआ।

उन्होंने कहा कि एक महिला होने के नाते और फिर एक अधिकारी होने के नाते, मैंने महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ने की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली।

इस मामले के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर कई लोगों ने उनकी सराहना की और कई लोगों ने आलोचना भी की।

पिता को कैंसर था, फिर भी नहीं हारी हिम्मत

रितिका का जन्म पंजाब के मोगा में हुआ था। संसाधनों की कमी के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और पढ़ाई में शानदार प्रदर्शन किया। वह शुरू से ही आईएएस बनना चाहती थीं।

रितिका ने दिल्ली के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से ग्रेजुएशन किया है। UPSC के पहले प्रयास में वह कुछ नंबरों से पीछे रह गई थीं, लेकिन दूसरे प्रयास में 88वीं रैंक के साथ टॉप किया।

रितिका जब पहली बार UPSC के एग्जाम के लिए खुद को तैयार कर रही थीं, तब उनके पापा को टंग कैंसर था और जब रितिका ने दूसरा अटेम्ट दिया, तब उनके पापा को लंग कैंसर हो गया। ऐसे परेशानी से भरे समय में भी रितिका विजेता बनकर उभरीं।

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