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आरबीआई ने राज्य वित्त का 2021-22 संस्करण जारी किया है। यह शहरी निकायों के वित्त पर केंद्रित है। इसके प्रस्ताव तीन बिंदुओं पर आधारित हैं।
1) प्रशासन
2) वित्तीय स्वायत्तताए एवं
3) राजस्व जुटाने की क्षमता में वृद्धि।
महामारी ने शहरी निकायों के वित्तीय प्रावधानों को 15-20% तक नष्ट कर दिया है। अब उन्हें नागरिक सुविधाओं, शहरी नियोजन तथा आवास और प्रकाश व्यवस्था को दुरूस्त रखने के लिए अधिक राजस्व जुटाने की आवश्यकता है।
शहरी निकायों के लिए राजस्व का प्रमुख स्रोत संपत्ति कर होता है। इसके लिए निकाय बांड जारी कर सकते हैं। निकायों की आय को बनाए रखने के लिए 15वें वित्त आयोग ने गृहकर पर न्यूनतम दरों की भी सिफारिश की थी, जिसके नीचे यह नहीं गिरना चाहिए।
कराधान शक्तियों और निधियों को हस्तांतरित करने के लिए अगर राज्य सरकारें अच्छी व्यवस्था बना लें, तो स्थानीय निकायों के वित्त में काफी सुधार हो सकेगा।
‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 7 दिसम्बर, 2021
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