महिलाओं के विवाह की उम्र

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हाल ही में केंद्र सरकार ने महिलाओं के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र को 18 वर्ष से बढ़ाकर 21 वर्ष करने का निर्णय लिया है। यह नेक इरादे से उठाया गया कदम है, जिसका उद्देश्य प्रगति विरोधी रूढ़िवादी समाज के दृष्टिकोण को बदलना है, जो महिलाओं का भविष्य जल्द-से-जल्द विवाह में देखता है। बहरहाल, इस कानून के लिए सरकार को हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955, स्पेशल मैरिज एक्ट, 1954, और प्रोहिबिशन ऑफ चाइल्ड मैरिज एक्ट 2006 में बदलाव करना पड़ेगा।

कुछ तथ्य –

  • सरकारी आंकड़े बताते हैं कि भारत में महिलाओं के विवाह की औसत उम्र बढ़कर 22.1 वर्ष हो गई है।
  • 20-24 वर्ष की आयु की 23.3% महिलाएं अभी भी 18 से पहले ही शादी कर लेती हैं।
  • महामारी के दौरान बाल विवाह में कथित तौर पर वृद्धि हुई है। इसका कारण गरीबी, महिलाओं की घरेलू स्थिति, घरेलू काम और परिवार के ‘सम्मान’ की पारंपरिक धारणाओं से लेकर स्कूलों तक पहुंच की कमी को माना जाना चाहिए।

कानून के पक्ष और विपक्ष में –

विवाह संबंधित पूर्व कानूनों में संशोधन करके महिला-विवाह की न्यूनतम आयु को बढ़ाने के पीछे मातृत्व मृत्यु दर पर नियंत्रण रखना, महिलाओं के पोषण स्तर को बढ़ाना और महिलाओं के लिए उच्च शिक्षा व कैरियर के द्वारा खोलना है। इस कानून को लाने के लिए बनी पैनल की रिपोर्ट भी कहती है कि देश में फैले पितृसत्तात्मक समाज की मानसिकता को बदलने की जरूरत है।

यदि हम पैनल और सरकार के तर्क से अलग हटकर देखें, तो केवल विवाह की कानूनी उम्र बढ़ा देना कोई हल नहीं है। कुछ तर्क –

  • महिलाओं की स्थिति को सुधारने के लिए सबसे पहले स्कूली शिक्षा तक उनकी पहुंच बनानी होगी।
  • सामाजिक जागरूकता लानी होगी।
  • कम आय वाले परिवारों की महिलाओं के लिए उपयुक्त गैर-कृषि रोजगार के अवसर सृजित करने होंगे।

श्रम-बल में बांग्लादेश की महिलाओं की उच्च भागीदारी, वहाँ के कपड़ा केंद्रों की देन है।

  • स्वास्थय सेवा को बेहतर और विस्तृत करना होगा।
  • याद रखा जाना चाहिए कि भारत की प्रजनन दर में जो कमी आई है, वह केवल सरकारी नीतियों के कारण नहीं है, बल्कि शिक्षा तक बेहतर पहुंच और विवाह की बढ़ती उम्र के कारण है।

लेकिन जब हमारे युवाओं को 18 वर्ष की उम्र में मतदान, ड्राइविंग, प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने के अधिकार दिए जा सकते हैं, तो विवाह के अधिकार से दूर क्यों रखा जाना चाहिए। सामाजिक रूप से अधिक उदार पश्चिमी देशों में, विवाह की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष है, तो भारत को इससे परहेज क्यों ?

विभिन्न समाचार पत्रों पर आधारित।

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