श्रीलंका की सहायता को बढ़े भारतीय हाथ

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भारत का पड़ोसी देश श्रीलंका आर्थिक संकट से जूझ रहा है। इसका विदेशी मुद्रा भंडार इतना कम चल रहा है कि वह आवश्यक ईंधन की खरीद करने में असमर्थ है।

भारत की भूमिका –

भारत के लिए यह प्रदर्शित करने का समय है कि उसकी ‘पड़ोसी पहले’ की नीति बहुत महत्वपूर्ण है। भारत ने 500 करोड़ डॉलर की आर्थिक सहायता प्रदान भी की है। लेकिन इस सप्ताह कच्चे तेल की कीमतें 100 डॉलर के स्तर को पार करने से श्रीलंका के संकट के और गहराने की संभावना है।

तेल को लेकर उपजा संकट रूस की कार्रवाइयों के प्रभाव से संबंधित है। इसलिए भारत को यह सुनिश्चित करने के लिए उपाय करने होंगे कि आर्थिक चुनौतियों के परिणामस्वरूप क्षेत्र में अस्थिरता न हो। हालांकि भारत ने श्रीलंका को अतिरिक्त सहायता प्रदान की है, लेकिन और अधिक किए जाने की जरूरत है। इस हेतु भारत सरकार श्रीलंका की अर्थव्यवस्था और रोजगार की स्थिति में सुधार के लिए अधिक निवेश पर विचार कर रही है।

अपनी आर्थिक चुनौतियों के बाद भी भारत इस क्षेत्र की प्रमुख अर्थव्यवस्था है। अतः हिंद-प्रशांत क्षेत्र में कोविड बाद की अर्थव्यवस्था के पुननिर्माण में भारत को आगे आना चाहिए।

बिम्सटेक (द बे ऑफ बेगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टीसेक्टोरल टेक्निकल एण्ड इकॉनॉमिक कॉपरेशन) देशों के बीच आर्थिक साझेदारी और सहयोग को बढ़ावा देने के साथ, भारत के लिए अपनी स्थिति मजबूत करने का यह उपयुक्त दौर है।

अतः श्रीलंका के साथ भारत का जुड़वा क्षेत्रीय साझेदारी को मजबूत करने में निहित होना चाहिए, जो क्षेत्र की आर्थिक और विकासात्मक प्रगति में हिस्सेदारी रखने वाले प्रत्येक देश, राष्ट्रों की संप्रभुता का सम्मान करने और खुले समाज को बढ़ावा देने पर आधारित हो।

‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 26 फरवरी, 2022

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