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- अप्रैल-जून, 2021 की तिमाही में बेरोजगारी दर बढ़कर 12.6% हो गई।
- सरकार के आवधिक रोजगार सर्वेक्षण के पांचवे दौर में पाया गया कि श्रम बल की भागीदारी अप्रैल-जून 2021 में क्रमिक रूप से घटकर 46.8% हो गई।
- कोरोना की मार से आबादी का बड़ा हिस्सा आय के नुकसान को झेल रहा है।
- इसका प्रभाव मांग में कमी के रूप में दिखाई दे रहा है।
- इस समय निवेश आधारित विकास पर भरोसा किया जा सकता है। लेकिन सरकार बेहतर कल्याण योजनाओं के वितरण पर भरोसा कर रही है। यह विभिन्न योजनाओं के माध्यम से स्थानीय विनिर्माण को बढ़ाने की कोशिश कर रही है।
- इसमें निजीकरण का प्रयास भी शामिल है, जो अधिशेष श्रम को खपाने की क्षमता नहीं रखता है।
अर्थव्यवस्था में इन संरचनात्मक परिवर्तनों को महामारी ने और बढ़ा दिया है। कल्याणकारी योजनाएं नौकरियों और रोजगार सृजन का विकल्प नहीं बन सकती हैं। कल्याण में वृद्धि, श्रम बल की भागीदारी में गिरावट के साथ तालमेल नहीं रख सकती। बेरोजगारी के साथ होने वाला विकास धारणीय नहीं हो सकता।
‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 17 मार्च, 2022
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