शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने को एक प्रयास

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हाल ही में देश के शिक्षा जगत में एक अपेक्षित पथप्रदर्शक सुधार किया गया है। विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए अब 12वीं के अंकों को नहीं देखा जाएगा, बल्कि इस हेतु सेंट्रल यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) स्कोर को आधार बनाया जाएगा। उच्च शिक्षा में प्रवेश की इस प्रक्रिया से अनेक लाभ हो सकते हैं। कुछ बिंदु-

  • 12वीं बोर्ड के अंकों की विश्वसनीयता पर लगातार सवाल उठने लगे थे। 2021 में ऑनलाइन पठन के बाद भी अंक रिकार्ड तोड़ने वाले रहे थे।
  • अलग-अलग बोर्ड़ो से जुड़े अलग-अलग मूल्यांकन मानक के कारण मूल्यांकन की असमानता का प्रभाव उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश पर नहीं पड़ेगा।
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति का सुझाव है कि सैकड़ों विश्वविद्यालयों के अपने स्वयं के प्रवेश मॉड्यूल तैयार करने के बजाय, एक कॉमन प्रवेश परीक्षा से संपूर्ण शिक्षा प्रणाली में दक्षता आएगी।
  • सीयूईटी के अधिक विश्वसनीय और निष्पक्ष होने की उम्मीद है।
  • सीयूईटी, विद्यार्थियों को विषयों का एक विस्तृत विकल्प दे सकता है।

इस परीक्षा की रूपरेखा और प्रारंभ 2010 में ही किया गया था। परंतु 2020 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने इसे संकल्प की मजबूती के साथ खड़ा किया गया है। अभी केवल 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों के लिए सीयूईटी अनिवार्य किया जा रहा है। राज्य, निजी और डीम्ड विश्वविद्यालयों के लिए यह वैकल्पिक है।

इस प्रवेश प्रणाली का लक्ष्य गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक बेहतर पहुंच प्रदान करना है।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 23 मार्च, 2022

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