भारत में डेटा-संग्रह की कमी से बढ़ी परेशानी

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हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड से हुई मौतों पर एक वैश्विक अपडेट जारी किया है। इसमें जनवरी, 2020 से दिसंबर, 2021 की अवधि में कोविड के कारण हुई मौतों का डेटा है। भारत के मामले में संगठन का अनुमान है कि वास्तविक रिपोर्ट की गई मौतों से लगभग दस गुना अधिक है। भारत सरकार ने इस निष्कर्ष पर विरोध प्रकट किया है, क्योंकि सरकार संगठन के सांख्यिकीय मॉडल से असहमत है।

यहां दो महत्वपूर्ण तकनीकी बिंदु हैं –

  1. अत्यधिक मृत्यु दर, कोविड से हुई मौतों और अन्य कारण से हुई मौतों की संख्या के बीच का अंतर है।
  1. चूंकि सभी देशों के पास दो साल की अवधि के लिए प्रासंगिक डेटा नहीं थे, इसलिए भारत सहित ऐसे देशों के लिए वैकल्पिक डेटा स्रोतों का उपयोग किया गया है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन का यह अनुमान अंतिम नहीं है। 2023 में एक और अपडेट आना है।

कोविड डेटा से आगे बढ़ते हुए, हमें यह स्वीकार करना होगा कि भारत की सांख्यिकीय प्रणाली में अभी बहुत सुधार करने की आवश्यकता है। नीति-निर्माण भी समय पर मिलने वाले विश्वसनीय डेटा पर निर्भर करता है। भारत में बहुत से महत्वपूर्ण क्षेत्रों के डेटा को एक दशक में अपडेट नहीं किया गया है। भारत के डेटा संग्रह में सुधार सरकार अपने पक्ष को अधिक ठोस रूप में प्रस्तुत करने में सक्षम हो सकेगी। अतः इस ओर विशेष ध्यान दिए जाने की जरूरत है।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 7 मई, 2022

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