स्वास्थ्य सेवा में एक आधुनिक पारंपरिक विकल्प

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देश में हाल ही में ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन (जीसीटीएम) की स्थापना की गई है। यह सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा के 2030 के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद कर सकता है। यह विश्व स्वास्थ्य संगठन के अधीन एक केंद्र है।

कुछ बिंदु – 

  • दुनिया की लगभग 80% आबादी पांरपरिक चिकित्सा पर निर्भर है। इसके बावजूद, साक्ष्य और आंकड़ों में पारंपरिक चिकित्सा को आधार बनाने का बहुत कम प्रयास किया गया है।
  • अभी तक अधिकांश पांरपरिक चिकित्सा प्राप्त ज्ञान विश्वास और घरेलू उपचार पर आधारित रही है। अब विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से चार रणनीतिक क्षेत्रों पर काम करके इसे बदलने का प्रयास किया जा रहा है। ये चार क्षेत्र हैं : साक्ष्य और सीखना, डेटा और विश्लेषण, स्थिरता और इक्विटी तथा वैश्विक स्वास्थ्य में पारंपरिक चिकित्सा के योगदान के लिए नवाचार और प्रौद्योगिकी।
  • पारंपरिक चिकित्सा को साक्ष्य, डेटा और विश्लेषण का आधार देकर, इसे आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के साथ बराबरी पर लाना संभव हो सकेगा।
  • इस आधार पर विभिन्न देश इसे अपनी स्वास्थ्य प्रणालियों में एकीकृत कर सकेंगे।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्य देशों के विश्व विद्यालयों और अनुसंधान केंद्रों के साथ हुआ 32 समझौता ज्ञापन इस केंद्र को संभव बनाएंगे।
  • इस केंद्र का उद्देश्य होगा कि पारंपरिक चिकित्सा का लाभ व्यापक हो सके।

इस केंद्र की स्थापना का अन्य लक्ष्य विज्ञान पर आधरित और स्वीकार्य एक ऐसी प्रणाली बनाना है, जो तकनीकी विकास का उपयोग करे, सर्वोत्तम उपलब्ध साधनों के माध्यम से भलाई, बीमारी की रोकथाम, निदान और उपचार पर केंद्रित रहे। पारंपरिक चिकित्सा के अपने मजबूत आधार के साथ भारत इस प्रयास में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।

‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 21 अप्रैल, 2022

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