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पिछले कुछ समय से ब्रिटेन में चल रही राजनीतिक उथल-पुथल भले ही भूराजनीतिक रूप से हमारे लिए महत्वपूर्ण न हो, परंतु यह विश्व के सभी बड़े लोकतंत्रों के लिए नैतिकता का सबक है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने एक के बाद एक बड़े घोटाले का सामना किया और अंत में उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा। आने वाले समय में उनकी पार्टी एक उत्तराधिकारी का चुनाव कर लेगी, कार्यालय की नाटकीय अदला-बदली भी हो जाएगी और बड़े-बड़े मुद्दों पर नीति-निर्धारण का काम भी आगे बढ़ने लगेगा।
इस पूरे घटनाक्रम में जो सबक छिपा है, वह नैतिकता से जुड़ा हुआ है। कैसे एक नेता, को जिसने 2019 में ही बहुत बड़े संसदीय बहुमत का नेतृत्व किया था, इतनी तेजी से अपनी राजनीतिक पूंजी का क्षय की ओर ले गया। लगातार होने वाले घोटालों के बीच ब्रेक्सिट करवा लिया गया। इससे होने वाले लाभ को वास्तविकता में कहीं स्थान नहीं मिल सका। न तो लोगों की आय बढ़ी, और न ही ब्रिटेन की शक्ति।
संदेश यह है कि बड़े जनादेश वाले नेताओं को भी सावधानी के साथ, अपने कार्यालय और अधिकारों को सम्मान देना चाहिए। दूसरे, जब राजनीतिक दल को लगने लगे कि उनका नेता दिशाहीन हो रहा है, तो उन्हें त्वरित कार्यवाही करनी चाहिए। बोरिस जॉनसन का पदच्युत होना दुनिया के लिए कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन यह दुनिया के चुने हुए नेताओं के लिए एक चेतावनी है। कि शासितों को कभी हल्के में न लें।
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 8 जुलाई, 2022
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