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वर्तमान में देश का वातावरण कुछ ऐसा बनता जा रहा है कि यहाँ व्यक्तिगत और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए सर्वोच्च न्यायालय ही अंतिम और एकमात्र मंत्र दिखाई देने लगा है। हाल ही में ऑल्ट न्यूज के संस्थापक मोहम्मद जुबैर को ऐसे ही एक मामले में उच्चतम न्यायालय से अंतरिम जमानत मिली है।
बहुसंख्यक राष्ट्रवाद के इस वर्तमान दौर में एक मुखर कार्यपालिका के सामने, मजिस्ट्रेटों के लिए यह समान्य सा हो गया है कि सांप्रदायिक आधार पर हिरासत में लिए गए लोगों की जमानत को अस्वीकार करने का दबाव बनाया जाए। मोहम्मद जुबैर के मामले में स्पष्ट रूप से ऐसा ही किया जा रहा था।
न्यायालय ने आरोपों के इस गेम प्लान को समझते हुए न केवल राहत प्रदान की है, बल्कि यह भी देखा है कि कुछ एफआईआर समान हैं, और उन्हें क्लब करने का भी आदेश दिया है। साथ ही उन्हें आगे प्रतिबंधित करने से भी इनकार करते हुए कहा है कि किसी की आवाज को इस तरह दबाया नहीं जा सकता है। जब सार्वजनिक डोमेन में कुछ भी कहा जाता है, तो कानून के संभावित उल्लंघन के लिए जाँच के प्रावधान खुले रहते हैं।’
न्यायिक वातावरण तैयार करना अच्छा है –
देश की यह एक दुखद स्थिति है कि इस प्रकार की राहत देने के लिए सर्वोच्च न्यायालय की जरूरत है। बहरहाल, कार्यपालिका के विरूद्ध कोविड-19 वैक्सीन नीति और पेगासस मामले में भी उच्चतम न्यायालय ने कार्यवाही की है। लेकिन आवश्यकता इस दृष्टिकोण का विस्तार करने और एक लोकतांत्रिक न्यायिक वातावरण बनाए रखने की है, जो स्वतंत्रता के कारण का समर्थन करता हो।
समाचार पत्रों पर आधारित। 13 जुलाई, 2022
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