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निरंतर और बढ़ती हुई असमानताएं हमारे समय की एक परिभाषित विशेषता रही हैं। फ्रांसीसी अर्थशास्त्री थॉमस पिकेटी ने अपनी मौलिक रचना ‘कैपिटल इन द टवेंटी फर्स्ट सेंचुरी’ में माना है कि असमानताएं हमारे ताने-बाने में घुसी हुई हैं, और वे रहेंगी। पूंजी पर प्रतिफल, श्रम से मिलने वाले प्रतिफलों की तुलना में बहुत अधिक रहा है और रहेगा।
नीति निर्माताओं के लिए चार कारक –
1) दुनियाभर में व्याप्त मैक्रोइकॉनॉमिक स्थितियां –
यह अनुपातहीन रूप से गरीबों को दंडित कर रही है। 2020 की शुरूआत में धीमी अर्थव्यवस्थाओं का सामना करते हुए, सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में केंद्रीय बैंकों ने अत्यधिक विस्तारवादी मौद्रिक नीतियों का पालन किया। देश में पूंजी के एक बड़े प्रवाह का स्वागत किया गया, क्योंकि इसने हमारे विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूत किया। इसके परिणामस्वरूप परिसंपत्ति मूल्य (एसेट प्राइस) मुद्रास्फीति भी हुई। इसने सम्पत्तिधारी लोगों को ही समृद्ध किया।
जैसे-जैसे विदेशी फंड बाहर निकलना शुरू हुआ, महामारी ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को बाधित किया। युद्ध जैसी घटना ने कच्चे तेल को महंगा कर दिया। अब हम दशक की उच्च मुद्रास्फीति का सामना कर रहे हैं। यह गरीबों द्वारा की जाने वाली खपत को बहुत अधिक कम कर देगी।
2) शिक्षा की बढ़ती खाई –
शिक्षा क्षेत्र में होने वाली एडटैक क्रांति से शिक्षा तक पहुंच, और शिक्षा की गुणवत्ता में असमानताओं पर गहरा प्रभाव है। इसके अलावा, महामारी ने पिछले दो वर्षों में अपनी स्कूली शिक्षा को जारी रखने में अक्षम बच्चों के लिए खाई को गहरा कर दिया है।
3) गायब होती नौकरियां –
श्रम बाजार में घटते रोजगार के अवसरों ने असमानता को और भी बढ़ा दिया है। अनौपचारिक क्षेत्र में श्रमिकों की संख्या बढ़ती जा रही है। महामारी ने श्रम बाजार में पहले से मौजूद असमानताओं को बढ़ा दिया है। मुख्य रूप से अनौपचारिक क्षेत्र में कम कुशल श्रमिकों को बहुत नुकसान हुआ है। महामारी ने आय और रोजगार में लिंग आधारित असमानताओं को बढ़ा दिया है। इन सबको संबोधित करना तीसरी बड़ी नीतिगत चुनौती है।
4) डिजिटल प्रगति लेकिन केवल समृद्ध के लिए –
प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रभावशाली विकास और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त हुआ है। वर्तमान समय में, दूरसंचार और सूचना प्रौद्योगिकी तक पहुंच और इसके साथ काम करने की क्षमता, महत्वपूर्ण है। लेकिन डिजिटल डिवाइड के दूसरी तरफ बड़ी संख्या में लोग पीछे छूट रहे हैं। शारीरिक श्रम पर निर्भर लोगों के लिए काम करने की व्यवस्था बिल्कुल नहीं बदली है। डिजिटल अंतर को पाटने के लिए महिलाओं, गरीबों और वंचितों के लिए काफी प्रयास करने की आवश्यकता होगी।
इस प्रकार, जब तक प्रतिकूल व्यापक आर्थिक परिस्थितियों, शिक्षा की कमी, गुणवत्तापूर्ण नौकरियों की कमी और तकनीकी नवाचारों तक पहुंच के चार कारकों को संबोधित नहीं किया जाता है, असमानताओं का विस्तार जारी रहेगा।
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित इंदु भूषण के लेख पर आधारित। 26 अगस्त, 2022
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