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हाल ही में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने इस खेल में लैंगिक असमानता को दूर करते हुए अंतरराष्ट्रीय मैचों में पुरूष और महिला खिलाडियों की फीस को समान कर दिया है। इस मायने में देश का क्रिकेट बोर्ड न्यूजीलैण्ड की बराबरी पर आ गया है। महिलाओं के बीच क्रिकेट को लोकप्रिय करने की दिशा में यह निर्णय मील का पत्थर साबित हो सकता है।
समाज में लड़कियों और महिलाओं को सशक्त बनाने का एक बड़ा साधन खेल हैं। खेलों में फीस की असमानता या अपर्याप्त धनराशि से लड़कियों और महिलाओं को इस क्षेत्र में पीछे हटना पड़ता है। बहरहाल, वेतन समता ही खेलों का अंतिम लक्ष्य न होते हुए भी महत्वपूर्ण है। लेकिन खिलाड़ियों, प्रशासकों और आयोजकों का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए एक साथ काम करना इससे भी अधिक जरूरी है। इस वर्ष की शुरूआत में अमेरिकी महिला फुटबॉल टीम ने ऐसा ही किया था।
बीसीसीआई का यह कदम निःसंदेह प्रशंसनीय है। इसके साथ ही महिलाओं के लिए आईपीएल जैसे टूर्रामेंट के साथ और भी बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है।
विभिन्न समाचार पत्रों पर आधारित। 29 अक्टूबर, 2022
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