ईरान के निरंकुश प्रशासन के विरोध का संदेश

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ईरान में चल रहे हाल के विरोध उसी लड़ाई का हिस्सा हैं, जिसे ईरानी महिलाएं दशकों से लड़ती आ रही हैं। यह लड़ाई ईरान में महिलाओं पर होने वाले दमन को लेकर तब जोर पकड़ने लगी, जब हाल ही में एक युवती महसा अमीनी को हिजाब ठीक से न पहनने को लेकर गिरफ्तार किया गया, और गिरफ्तारी में उसकी मौत हो गई।

इसके साथ ही ईरान की अली खमैनी सरकार ने यह भी घोषणा की है कि अकेले तेहरान से गिरफ्तार लगभग एक हजार लोगों पर तोड़फोड़ और दंगे के आरोप में सार्वजनिक रूप से मुकदमा चलाया जाएगा। यह घोषणा लगभग 12,500 लोगों की गिरफ्तारी और 244 लोगों की मौत के बाद की गई है। दरअसल, यहाँ सरकार विरोधी तत्वों को देशद्रोही की संज्ञा दी जा रही है।

हिजाब के खिलाफ शुरू हुए इस विरोध प्रदर्शन की आंच भारत के केरल राज्य तक भी आ पहुंची है। यहाँ के कुछ क्षेत्रों की महिलाओं ने अपने हिजाब जलाकर ईरान के आंदोलन के साथ अपनी एकजुटता का संदेश दिया है।

ईरान सरकार जितनी निरंकुशता से विरोध-प्रदर्शन का दमन कर रही है, विरोधियों की संख्या उतनी ही बढ़ती जा रही है। इससे भारत सहित विश्व के अनेक देशों में यही संदेश जाता है कि कहीं भी सरकार की निरंकुशता को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है, और नागरिकों की स्वतंत्रता सर्वोपरि है।

‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 2 नवंबर, 2022

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