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भारतीय शहर आर्थिक रूप से कमजोर हैं। हाल ही में नगर निकायों की वित्तीय स्थिति पर आरबीआई की अभी तक की एकमात्र रिपोर्ट आई है। इससे जुड़े कुछ तथ्यात्मक बिंदु-
- रिपोर्ट के अनुसार 2050 तक शहरों की जनसंख्या 80 करोड़ हो जाएगी। 2011 में यह 37.7 करोड़ थी।
- जीडीपी में नगर निकायों का राजस्व और व्यय 1% ही है। केंद्र और राज्य सरकारों के अनुदान और ऋण पर आश्रित नगर निकायों की राजस्व प्राप्तियां 1 करोड़ 41 लाख से ऊपर या राज्य के जीडीपी का 0.72% रही हैं।
- नगर निकायों के अपने आय के स्रोत बढ़ाने के लिए आरबीआई ने म्यूनिसिपल बॉन्ड जारी करने का विकल्प सुझाया है। इसे इस प्रकार से प्रस्तुत किया जाए कि यह लंबी अवधि के निवेशकों के लिए स्थिर रिटर्न का आकर्षक स्रोत है, जिसके लिए निकाय बांड जारी करके अपने संसाधन बढ़ा सकते हैं।
शहरी नियोजन और कुशल प्रशासन के लिए शहरों में ऐसे बुनियादी ढांचे के निर्माण की योजना बननी चाहिए, जो लचीली हो और स्थिरता दे सके। इस हेतु निकायों को निर्णय और निवेश लेने के लिए सशक्त होना होगा।
‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 19 नवबंर, 2022
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