मानहानि कानून पर विचार होना चाहिए

To Download Click Here.

हाल ही में सूरत के एक न्यायालय ने मानहानि के मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सजा सुना दी है। यह मामला 2019 में चुनाव के दौरान का है। इस मामले में उन्हें दो साल की सजा सुनाई गई है। आपराधिक मानहानि के मामले राजनीति में बढ़ते जा रहे हैं। आजकल बहुत से नेता ऐसा कुछ बोल जाते हैंए जिसका कोई ठोस प्रमाण नहीं होता है। इस मामले से जुड़े कुछ बिंदु –

  • 2013 में यूपी, सरकार ने एक अध्यादेश जारी किया था। इसके द्वारा उच्चतम न्यायालय के उस फैसले को खारिज किया गया था, जो जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8(4) के तहत संसद की सदस्यता से तत्काल अयोग्य ठहराता था। बशर्ते की इसके विरुद्ध अपील की गई हो। यह कदम लोकतंत्र की रक्षा के लिए उठाया गया था।
  • वर्तमान में आपराधिक मानहानि के लिए कोई स्थान नहीं है। 2016 में उच्चतम न्यायालय ने मानहानि के मामले के अपराध की श्रेणी से मुक्त करने के लिए दी गई याचिकाओं को रद्द कर दिया था। इस पर 2017 में बीजद सांसदों ने एक विधेयक भी पेश किया था।
  • भारत की राजनीति का अपराधीकरण चिंता का गंभीर विषय है। 2019 के लगभग 30%लोकसभा सदस्यों पर भ्रष्टाचार, हत्या, तस्करी, यौन उत्पीड़न जैसे आरोप लगे हुए थे।
  • वर्तमान कानून के अनुसार कोई भी नेता दोषी सिद्ध होता है, और अगर उसे दो वर्ष या अधिक की सजा मिलती है, तो उसकी संसद या विधानसभा की सदस्यता खत्म हो जाती है। उसे सजा के पूरा होने के छः साल बाद तक चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं मिलता है। संविधान के अनुच्छेद 102(1) और जन प्रतिधितधित्व अधिनियम, 1951 के तहत यह प्रावधान है।

मानहानि को लेकर कांग्रेस नेता को दो वर्ष की सजा और संसद से अयोग्य करार दिया जाना उचित कहा जा सकता है, लेकिन भावना और व्यवहार में खराब इस कानून को समाप्त करने के लिए सरकार और न्यायालयों को मुस्तैद रहना चाहिए।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 25 मार्च, 2023

The post मानहानि कानून पर विचार होना चाहिए appeared first on AFEIAS.


Post a Comment

और नया पुराने