बढ़ती जनसंख्या के लिए भारत की क्या तैयारी है?

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हाल ही में भारत दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाला देश हो गया है। इसके साथ ही भारत को जनसांख्यिकीय लाभांश भी मिल रहा है। लेकिन क्या युवा जनसंख्या का लाभ लेने के लिए भारत ने तैयारी कर रखी है? इससे जुड़े कुछ बिंदु –

  • भारत की प्रजनन दर पिछले साल प्रतिस्थापन दर तक गिर गई है। भारत की औसत आयु 28 वर्ष है, जबकि अमेरिका की 38 और चीन की 39 है। इसके साथ ही कम से कम अगले 25 वर्षों के लिए भारत दुनिया में सबसे बड़ा कार्यबल होने का दावा कर सकता है।
  • समय भी भारत के लिए सहायक है। जैसे-जैसे चीन का कार्यबल घटेगा, भारत का कार्यबल बढ़ेगा।
  • खास बात यह है कि जनसांख्यिकीय लांभांश तभी साकार होगा, जब भारत श्रम बाजार में प्रतिदिन आने वाले युवाओं के लिए रोजगार सृजित करने में सक्षम होगा।
  • सेंटर फॉर मॉनिटरिंग द इंडियन इकॉनॉमी के मुताबिक मार्च में हमारी बेरोजगारी दर 7.8% थी। यह वास्तविक आंकड़े से कम है, क्योंकि कृषि में फंसे अनेक कर्मी और अनौपचारिक क्षेत्र में अत्यंत कम वेतन पर काम करने वाले लोगों को रोजगार-प्राप्त में शामिल किया गया है।
  • भारत में महिला कार्यबल की भागीदारी काफी कम है। अन्य दक्षिण एशियाई देशों की तुलना में हमारे यहाँ महिला श्रम भागीदारी गिरती जा रही है।
  • स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त अनेक युवा निम्न-स्तरीय सरकारी पदों पर काम करने के लिए उत्सुक हैं। गत वर्ष, रेलवे की गैरतकनीकी 35 हजार नियुक्तियों के लिए 1.2 करोड़ आवेदन आए थे। इसका स्पष्ट कारण रोजगार की समस्या और शिक्षा की गुणवत्ता में कमी का होना है।
  • 2020 की मैकेन्सी ग्लोबल इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के अनुमान में कहा गया है कि 2030 तक भारत को 9 करोड़ रोजगार सृजित करने होंगे। ये सभी गैर-कृषि कर्म से जुड़े होने चाहिए। तभी हम बढ़ते कार्यबल को सही ढंग से लाभांश बना सकते हैं।
  • अगर इसमें 5 करोड़ महिलाओं को भी शामिल कर लिया जाए, तो रोजगार के अवसर और अधिक बढ़ाने पड़ सकते हैं।

रोजगार सृजन कैसे हो सकता है ?

  • ऐसा माना जा रहा है कि भारत को सेवा क्षेत्र में अधिक पांव फैलाने की जरूरत है। अमीर देशों की वृद्ध होती जनसंख्या को सेवा की जरूरत लगातार बढ़ेगी। इसके लिए भारतीयों को प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
  • डिजीटल तकनीक के माध्यम से आपूर्ति पक्ष में अनेक रोजगार बढ सकते है। कोविड के दौरान टेलीमेडिसिन का लाभ देखा जा चुका है।
  • मानव पूंजी को मजबूत बनाने के लिए कौशल विकास पर ध्यान देना जरूरी है।
  • रोजगार में दीर्घकालीन चुनौती से निपटने के लिए विनिर्माण पर फोकस किया जाना चाहिए। चीन के निर्यात मॉडल का विकल्प भारत बन सकता है।
  • आज वैश्वीकरण की जगह राष्ट्रवाद का दौर चल पड़ा है। इसलिए चीन का स्थान ले पाना उतना आसान नहीं है। फिर भी, भारत के लिए निर्यात में काफी संभावनाएं है। भारत ही अकेले चीन से 100 अरब डॉलर का आयात प्रतिवर्ष करता है। अगर इसका आधा भी भारत स्वयं तैयार करने लगे, तो काफी नए रोजगार सृजित हो सकते हैं।
  • विश्व में अभी भी कम वेतन पर श्रम की बहुत मांग है। भारत के पास यह पर्याप्त है। उसे विश्व व्यापार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ानी चाहिए।

आज यह कहा जा रहा है कि चीन अमीर होने से पहले ही वृद्ध हो रहा है। भारत को समय पर सही कदम उठाते हुए इस रास्ते से बचने की कोशिश करनी चाहिए।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित डी.सुब्बाराव के लेख पर आधारित। 5 अप्रैल, 2023

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