वर्षा-जल को तो बचाना ही होगा

To Download Click Here.

भारत की 47% जनता कृषि-आय पर निर्भर करती है। मानसून में होने वाली देरी, इस संपूर्ण वर्ग के लिए अनेक आशंकाओं का कारण बन जाती है। देश में जलाशयों और जलभरों को रिचार्ज करने, पीने और बिजली उत्पादन के अलावा सिंचाई के लिए वर्षा जल पर ही निर्भर रहना पड़ता है। कुछ बिंदु –

  • जनू माह में सामान्य से 33% कम बारिश हुई है। कुछ राज्यों में घाटा 95% तक है।
  • इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) के अनुसार जलवायु परिवर्तन के कारण वर्षा में उल्लेखनीय गिरावट हो रही है।
  • केंद्र और राज्य सरकारों को वर्षा जल बचाने के लिए ग्रामीण स्तर पर जल भंडारण क्षमता के निर्माण पर ध्यान देना चाहिए।
  • भारत सरकार के ही एक पैनल की सिफारिश है कि मनरेगा फंड का 70% इस्तेमाल पानी की कमी वाले ब्लॉकों में किया जाना चाहिए। रोजगार का सृजन जल-निकायों को फिर से भरने की दिशा में होना चाहिए।

एक मजबूत अर्थव्यवस्था के निर्माण के लिए एक संपन्न कृषि क्षेत्र की जरूरत है। इस हेतु किसानों को मौसम की मिलने वाली समय पर जानकारी और जलवायु अनुकूलन बीजों के साथ-साथ पानी की भी जरूरत है।

‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 21 जून, 2023

The post वर्षा-जल को तो बचाना ही होगा appeared first on AFEIAS.


Post a Comment

और नया पुराने