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हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने राजनीति में अपराधीकरण से संबंधित एक याचिका में ‘एमिकस क्यूरी’ या ‘न्याय मित्र’ को नियुक्त किया था। इसका विचार है कि दोषी नेताओं को चुनाव लड़ने से आजीवन प्रतिबंधित कर दिया जाना चाहिए। वर्तमान में यह प्रतिबंध छह वर्ष के लिए लगाया जाता है।
तर्क क्या है?
समान स्थिति में सिविल सेवकों को बर्खास्त कर दिया जाता है। अतः न्याय मित्र का सुझाव संविधान में दिए गए समानता के मौलिक अधिकार के अनुकूल है।
वर्तमान कानून क्या कहता है?
दोषी नेताओं को आयोग्य ठहराने के लिए प्रासंगिक कानून लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम है। इस कानून की धारा 8 का उद्देश्य राजनीति के अपराधीकरण को रोकना और अयोग्यता के लिए आधार निर्धारित करना है। पिछले दो दशकों में, कानून की व्याख्या इस तरह से की गई है कि उम्मीदवार मतदाताओं को अपने आपराधिक मामलों के बारे में सूचित रखें, लेकिन बड़े बदलाव से बचें।
2013 में उच्चतम न्यायालय ने उस धारा को अमान्य कर दिया, जो दोषी नेता को अपील करने का समय देती थी। मार्च 2023 को राहुल गांधी की योग्यता तत्काल समाप्त कर दी गई थी।
वर्तमान 763 सांसदों ने जो हलफनामे दायर किए हैं, उनमें से 40% पर बकाया आपराधिक मामले हैं। लोक प्रतिनिधित्व कानून में कड़ाई करना इस समस्या का समाधान नहीं हो सकता है। कमजोर आधार पर दंड की अवधि को बढ़ा देने का लाभ सरकार को ही अधिक मिलने वाला है। इसलिए इस समस्या का समाधान समावेशी दृष्टिकोण से निकाला जाना चाहिए।
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 16 सितंबर, 2023
The post राजनीति के अपराधीकरण का हल ढूंढना जरूरी है appeared first on AFEIAS.
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