भारत में बुजुर्गों की बढ़ती संख्या और चुनौतियां

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विश्व की अधिकांश जनसंख्या वृद्धावस्था की ओर बढ़ रही है, और भारत इससे अछूता नहीं है। भारत में वृद्ध-जनसंख्या से जुड़े कुछ बिंदु –

  • संयुक्त राष्ट्र की जनसंख्या कोष से जुड़ी इंडिया एजिंग रिपोर्ट 2023 के अनुसार भारत में 2022 में 60 वर्ष से ऊपर की जनसंख्या 10.5% या 14.9 करोड़ थी। इसके 2050 में 20.8% या 34.7 करोड़ हो जाने का अनुमान है।
  • इसे देखते हुए हर पांच व्यक्तियों में एक वृद्ध हो जाएगा। इसका प्रभाव स्वास्थ्य, समाज और अर्थव्यवस्था पर पड़ना तय है।
  • वृद्ध जनसंख्या के बढ़ने का सबसे बड़ा कारण रोगों से लड़ने के तरीकों में बढ़ोत्तरी का होना है। इससे जीवन प्रत्याशा बढ़ रही है। भारत समेत कई देशों में प्रजनन दर घट रही है। इससे भी वृद्ध-जनसंख्या अधिक हो रही है।
  • भारत में वृद्ध पुरूषों की अपेक्षा वृद्ध महिलाएं अधिक हैं। दूसरी ओर, कार्यबल में महिलाओं का प्रतिशत कम है। इन स्थितियों में वृद्ध महिलाओं की आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा एक चुनौती बनी हुई है।
  • यदि राज्यों के स्तर पर देखें, तो बुजुर्गों की संख्या में बहुत भिन्नता दिखाई देती है। दक्षिण के अधिकांश राज्यों में इनकी संख्या अधिक है।
  • देश के बुजुर्गों का 2/5वां हिस्सा गरीबी में जी रहा है। पंजाब में 5% से लेकर छत्तीसगढ़ में 47% बुजुर्ग गरीब हैं। 18.7 बुजुर्गों के पास कोई आय नही है।

इन चुनौतियों का सामना करने के लिए शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य, भोजन और आश्रय की बुनियादी जरूरतें, आय सुरक्षा और सामाजिक देखभाल की आवश्यकता है। बुजुर्ग जनसंख्या से जुड़ी अनेक योजनाएं भी हैं, लेकिन लोग इनसे अनजान हैं या इनसे जुडना उन्हें बोझिल लगता है।

वृद्ध व्यक्तियों पर राष्ट्रीय नीति 1999 लाई गई थी। इसके अलावा माता-पिता और वरिष्ठ जन का भरण-पोषण और कल्याण नागरिक अधिनियम 2007 लाया गया था, जो उनकी देखभाल का प्रावधान देता है। लेकिन वरिष्ठ नागरिकों को अधिक सम्मानजनक जीवन देने के लिए, सार्वजनिक और निजी नीतियों के द्वारा अधिक सहायक वातावरण तैयार किया जाना चाहिए।

‘द हिन्दू’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 29 सितंबर, 2023

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