To Download Click Here.
अमेरिका के सामाजिक और आर्थिक विकास में प्रवासी भारतीयों का योगदान सर्वविदित है। इसमें एक अध्याय और जोड़ा गया है। हाल ही में जो बाइडन ने भारतीय वैज्ञानिक अशोक गाडगिल और सुब्रा सुरेश को सिविल पर्यावरणीय इंजीनियरिंग और भौतिक जीव विज्ञान में विशेष योगदान के लिए सम्मानित किया है।
इस परिपेक्ष्य में भारत को दो प्रमुख प्रश्नों के उत्तर खोजने चाहिए –
प्रश्न 1 – उभरते वैज्ञानिकों और नवप्रर्वतकों के लिए एक ऐसे सक्षम पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण कैसे करें कि वे अपनी क्षमता का पूरा उपयोग कर सकें ?
प्रश्न 2 – भारत ऐसा क्या कर सकता है कि जिससे उसकी प्रवासी आबादी शोध-अनुसंधान और नवाचार क्षमता को बढ़ा सके, और भारत इसका लाभ उठा सके ?
कुछ बिंदु –
- 2023-24 के बजट में शोध अनुसंधान के लिए केवल 0.36% आवंटित किया गया था। यह अन्य जी 20 देशों की तुलना में कम है। इसे बढ़ाया जाना चाहिए।
- हाल ही में राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन की स्थापना की गई है। वैश्विक भारतीय वैज्ञानिक फेलोशिप की शुरूआत की गई है। इसका उद्देश्य एसटीईएम से जुड़े प्रवासी भारतीयों को भारतीय अकादमिक व शोध-अनुसंधान संस्थानों से जोड़ना है।
सहयोगात्मक अनुसंधान से जुड़ी इस प्रकार की पहलों को बढ़ाया जाना चाहिए। गाडगिल और सुरेश जैसे वैज्ञानिक जितने अमेरिका के हैं, उतने ही भारतीय विश्वविद्यालय और आईआईटी प्रणाली के भी हैं। इसका लाभ भारत को अवश्य उठाना चाहिए।
‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 26 अक्टूबर, 2023
The post भारत को एनआरआई प्रतिभा का लाभ लेना चाहिए appeared first on AFEIAS.
एक टिप्पणी भेजें