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भारत के तमिलनाडु में नागापट्टिनम से श्रीलंका के कांकेसंथुराई के बीच यात्री-नौका सेवा की शुरूआत की जा रही है। इसकी मांग लंबे समय से की जा रही थी। काफी समय पहले भी दोनों देशों के बीच इस प्रकार के संपर्क साधन थे। 1964 में आए चक्रवात ने धनुषकोडी और 25 वर्षों तक चले श्रीलंका के ग्रहयुद्ध ने परिवहन के अनेक साधनों को बंद कर दिया, और लोगों को केवल हवाई सेवा पर निर्भर होना पड़ा।
कुछ बिंदु –
- नौका सेवा की शुरूआत से दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक, आर्थिक और सभ्यता से जुड़े संबंध मजबूत होंगे।
- आपदा प्रबंधन और समुद्री सुरक्षा सहयोग में सुधार होगा।
- तमिलनाडु में रह रहे हजारों श्रीलंकाई शरणार्थियों की घर वापसी का मार्ग तैयार हो सकता है।
अंततः इस सेवा को सफल बनाने के लिए कुछ नीतिगत ध्यान दिए जाने की जरूरत है। नागापट्टिनम मुख्य रूप से कृषि प्रधान है। यहाँ श्रीलंका से आए लोगों के ठहरने के लिए सुविधाएं बढ़ाई जानी चाहिए। रेल-संपर्क बढ़ाया जाना चाहिए। उम्मीद की जा सकती है कि यह सेवा दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों के विकास में सहायक होगी।
‘द हिंदू’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 19 अक्टूबर, 2023
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