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हाल ही में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने हरियाणा राज्य स्थानीय उम्मीदवार रोजगार अधिनियम, 2020 को रद्द कर दिया है। इस अधिनियम में निजी क्षेत्र की 30,000 रु. मासिक से कम की नौकरियों में राज्य के निवासियों को 75% आरक्षण देने की व्यवस्था की गई थी। कुछ बिंदु –
- यह अधिनियम संविधान के अनुच्छेद 14 और 19 के तहत समानता और स्वतंत्रता की गारंटी का उल्लंघन करता है।
- इस अधिनियम को देश के बाकी हिस्सों के नागरिकों के अधिकारों के खिलाफ माना गया है। इस उदाहरण से प्रेरणा लेकर अन्य राज्य भी समान तरह का कानून बनाने की सोच सकते हैं। इससे पूरे देश में राज्यों की अपनी दीवारें खड़ी हो सकती हैं। हालांकि आंध्रप्रदेश और झारखंड ने भी समान कानून बनाए हैं। इन पर सुनवाई होनी है।
- अनेक साक्ष्य ऐसे हैं, जो प्रवास को राज्य और प्रवासियों, दोनों के लिए ही लाभकारी बताते हैं। 2011 की जनगणना में लगभग 21 करोड़ लोगों ने प्रवास किया था।
- राज्य सरकार के इस अधिनियम से ‘एक राष्ट्र एक राशन कार्ड’ जीएसटी व एकीकृत बाजार बनाने के राष्ट्रीय प्रयास विफल हो सकते हैं।
- लोगों की मुक्त आवाजाही व्यवसायों को सर्वोत्तम और सबसे अधिक प्रतिस्पर्धी प्रतिभा को काम देने का अवसर देती है। इस अधिनियम से ऐसा न हो पाने की स्थिति में अनेक कंपनियां राज्य से बाहर जाने को मजबूर हो सकती थीं।
ऐसा कानून किसी भी राज्य के हित में नहीं हो सकता है। इसे स्वयं राज्य सरकार को ही रद्द कर देना चाहिए था।
समाचार पत्रों पर आधारित। 22 नवंबर, 2023
The post हरियाणा सरकार के एक संकीर्ण प्रयास पर रोक appeared first on AFEIAS.
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