चिकित्सा क्षेत्र में जीन थेरेपी का बढ़ता प्रयोग

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हाल ही में चिकित्सा के क्षेत्र में एक नई उपलब्धि मिली है। यू.के. और यू.एस. ड्रग रेग्यूलेटर ने सिकिल सेल रोग (एक प्रकार का आनुवांशिक रोग; जिसमें लाल रक्त कोशिकाएं सिकिल या हंसिए के आकार की हो जाती हैं) और बीटा थैलेसिमिया में कैसगेवी और लिफजेनिया जैसी दो जीन थेरेपी के इस्तेमाल को अनुमति दी है। इस थेरेपी का प्रयोग 12 वर्ष से ऊपर के लोगों पर ही किया जा सकेगा।

कुछ बिंदु –

  • इस थेरेपी से पहले दोनों ही बीमारियों का ईलाज केवल बोन-मेरो ट्रांसप्लांटेशन या अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण से ही संभव था।
  • इस थेरेपी के लिए सीएसआईएसपीआर – सीएएस 9 टूल का उपयोग किया जाता है।
  • इस टूल से बीमारी के लिए जिम्मेदार बीसीएल 11 ए जीन के उत्पादन को रोककर, स्वस्थ जीन को रक्त कोशिकाओं में फिट किया जा सकता है।

अभी तक इस पद्धति से किए गए क्लीनिकल ट्रायल आशा की नई किरण प्रदान करते हैं। अभी यह सफल चिकित्सा तकनीक बहुत महंगी है, और अस्थि मज्जा प्रत्यारोपण की तरह ही बहुत कम अस्पतालों में उपलब्ध है। साथ ही इसके लिए निश्चित टूल से किए जाने वाले आनुवांशिक संशोधन के दुष्प्रभावों की भी आशंका व्यक्त की जा रही है।

‘द हिंदू’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 13 दिसंबर, 2023

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