रिजर्व बैंक ने कहा है कि प्राकृतिक आपदा या ‘एक्ट ऑफ गॉड’ यानी भूकंप, बाढ़, आकाशीय बिजली या आंधी-तूफान की स्थिति में बैंक किसी नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.

लॉकर चार्ज का 100 गुना तक बैंक की लाएबिलिटी.
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बैंक लॉकर को लेकर अपने नियम में बदलाव का ऐलान किया है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की तरफ से जारी ताजा गाइडलाइन के मुताबिक, अब लॉकर को लेकर बैंक की लाएबिलिटी लिमिटेड कर दी गई है. एक कस्टमर अपने लॉकर के लिए एक साल में कितना रेंट देता है, उसका अधिकतम 100 गुना बैंक की लाएबिलिटी होगी.
उदाहरण के तौर पर आपने किसी बैंक में लॉकर लिया जिसका सालाना रेंटल चार्ज 1000 रुपए है. अगर उस बैंक ब्रांच में आग लग जाती है, चोरी या डकैती हो जाती है या फिर वह बिल्डिंग ढह जाता है तो बैंक अधिकतम 1 लाख रुपए (1000×100=100000) ही आपको लौटा सकता है. इस बात को भी ध्यान रखें कि अगर कोई बैंक एंप्लॉयी भी फ्रॉ़ करता है, उस कंडिशन में भी बैंक की लाएबिलिटी 100 गुना ही होगी. लॉकर को लेकर नई गाइडलाइन को 1 जनवरी 2022 से लागू किया जाएगा.
गैर-कानूनी सामान नहीं रखा जा सकता है
बैंकों को लॉकर करार में एक प्रावधान शामिल करना होगा जिसके तहत लॉकर किराए पर लेने वाला व्यक्ति उसमें कोई भी गैरकानूनी या खतरनाक सामान नहीं रख सकेगा. रिजर्व बैंक ने कहा कि उसने बैंकिंग और प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में विभिन्न घटनाक्रमों, उपभोक्ता शिकायत की प्रकृति और बैंकों और इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (IBA) की ओर से उपलब्ध कराई गई जानकारी के आधार पर ‘बैंकों द्वारा प्रदान की जाने वाली जमा लॉकर/सुरक्षित अभिरक्षा सामान सुविधा’ की समीक्षा की है. इसके अलावा उच्चतम न्यायालय में अमिताभ दासगुप्ता विरुद्ध यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया के मामले के आधार पर उभरे सिद्धान्तों के अनुरूप भी इसकी समीक्षा की गई है.
लॉकर आबंटन को पारदर्शी बनाना होगा
केंद्रीय बैंक ने कहा है कि संशोधित निर्देश नए और मौजूदा सुरक्षित जमा लॉकरों तथा सुरक्षित सामान अभिरक्षा सुविधा के लिए लागू होंगे. रिजर्व बैंक ने कहा कि बैंकों को शाखावार खाली लॉकरों की सूची बनानी होगी. साथ ही उन्हें लॉकरों के आवंटन के उद्देश्य से उनकी इंतजार सूची की जानकारी कोर बैंकिंग प्रणाली (CBS) या साइबर सुरक्षा ढांचे के अनुपालन वाली किसी अन्य कंप्यूटरीकृत प्रणाली में डालनी होगी. बैंकों को लॉकरों के आवंटन में पारदर्शिता सुनिश्चित करनी होगी.
एक्ट ऑफ गॉड के लिए बैंक जिम्मेदार नहीं होगा
आरबीआई के निर्देश में कहा गया है कि बैंकों को लॉकर आवंटन के सभी आवेदनों के लिए पावती या रिसीट देनी होगी. यदि लॉकर उपलब्ध नहीं है, तो बैंकों को उपभोक्ताओं को इंतजार सूची (वेट लिस्ट) का नंबर देना होगा. इसके अलावा बैंकों को आईबीए द्वारा तैयार किए जाने वाले आदर्श मॉडल करार को भी अपनाना होगा. रिजर्व बैंक ने संशोधित निर्देशों में बैंकों के लिए मुआवजा नीति और देनदारी का भी विस्तार से उल्लेख किया है. बैंकों को अपने बोर्ड द्वारा मंजूर ऐसी नीति को लागू करना होगा जिसमें लापरवाही की वजह से लॉकर में रखे सामान को लेकर उनकी जिम्मेदारी तय की जा सके. रिजर्व बैंक ने कहा है कि प्राकृतिक आपदा या ‘एक्ट ऑफ गॉड’ यानी भूकंप, बाढ़, आकाशीय बिजली या आंधी-तूफान की स्थिति में बैंक किसी नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.
बैंकों की जिम्मेदारी तय की गई
हालांकि, बैंकों को अपने परिसर को इस तरह की आपदाओं से बचाने के लिए उचित इंतजाम करने की जरूरत होगी. इसके अलावा जिस परिसर में सुरक्षित जमा लॉकर हैं, उसकी सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी बैंक की होगी. निर्देश में कहा गया है कि आग, चोरी, डकैती या सेंधमारी की स्थिति में बैंक अपने दायित्व से नहीं हट सकता. ऐसे मामलों में बैंक का दायित्व लॉकर के वार्षिक किराए का सौ गुना तक होगा.
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(भाषा इनपुट)
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