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- पूरे मामले पर सरकार ने लिया संज्ञान, पुलिस कमिश्नर ने एडीसीपी ईस्ट को सौंपी जांच, प्राथमिक जांच में सरकारी बंगले के वीडियो की पुष्टि
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कानपुर में तैनाती के दौरान सीनियर आईएएस मो. इफ्तिखारुद्दीन अपने सरकारी आवास में कट्टरता की पाठशाला चलाते हुए।
सीनियर आईएएस मो. इफ्तिखारुद्दीन के कानपुर में तैनाती के दौरान सरकारी आवास पर मुस्लिम धर्म के कट्टरता की पाठशाला चलाने के मामले का शासन ने संज्ञान लिया है। इसके बाद कानपुर पुलिस कमिश्नर ने मामले में जांच बैठा दी है। एडीसीपी पूर्वी सोमेंद्र मीणा को मामले की जांच दी गई है। प्राथमिक जांच में वीडियो कानपुर कमिश्नर आवास के होने की पुष्टि हो गई है।
धर्म की कट्टरता की पाठशाला में IAS ने कोई अपराधिक षड़यंत्र तो नहीं किया…
पुलिस कमिश्नर असीम अरुण ने सोमवार को वायरल वीडियो की जांच एडीसीपी पूर्वी सोमेंद्र मीणा को दी है। जांच में इस बात पर फोकस रहेगा कि क्या वीडियो में कोई अपराध प्रदर्शित हो रहा है…? क्या आईएएस द्वारा सरकारी आवास में इस तरह धर्म के कट्टरता की पाठशाला से किसी तरह से नियमों का उल्लंघन हुआ है…? आईएएस की बैठक में कौ-कौन लोग शामिल हुए थे…? यह सभी क्या करते हैं…? इसके साथ ही अन्य बिंदुओं पर एडीसीपी पूरे मामले की जांच करेंगे। प्राथमिक जांच में वीडियो कानपुर कमिश्नर आवास का वीडियो होने की पुष्टि होने के बाद मामले में जांच बैठाई गई है। वायरल वीडियो में आईएएस मो.इफ्तिखारुद्दीन एक कार्यक्रम में शामिल होने के साथ ही धर्म के प्रति कट्टरता की बात कहते हुए दिख रहे हैं। वीडियो वायरल होने के बाद मामला तूल पकड़ता जा रहा है। सीनियर आईएएस सवालों में घिर गए हैं।
चर्चा है कि बंगले से मिला था धार्मिक कट्टरता का साहित्य
चर्चा है कि कानपुर कमिश्नर रहने के दौरान अपने सरकारी आवास में इस तरह की बैठक उनके लिए आम हो गया था। जिसमें वह कट्टरता की पाठ पढ़ाते थे। इसके साथ ही इसमें शामिल होने वाले कानपुर ही नहीं कई राज्यों से आते थे। बंगला खाली करने के बाद सफाई हुई तो धर्म के प्रति कट्टरता को बढ़ावा देने वाला साहित्य भारी मात्रा में मिला था। लेकिन आईएएस अफसर होने के चलते मामले को दबा दिया गया था।
तीनों वायरल वीडियो की होगी जांच
प्राथमिक जांच में इस बात की तो पुष्टि हो गई कि कानपुर में तैनाती के दौरान कमिश्नर मो. इफ्तिखारुद्दीन के आवास पर धर्म के कट्टरता की पाठशाल चल रही थी। इसके तीन वीडियो वायरल हुए हैं। जो अब तक पुलिस के हाथ लगाएगी। सरकारी आवास पर तैनात कई कर्मचारियों ने इस बात की पुष्टि की है, लेकिन वह अधिकृत रूप से बयान देने को तैयार नहीं हैं।
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