UPSC: दो बार असफल होने के बाद भी मेघा अरोड़ा ने नहीं मानी थी हार, तीसरे प्रयास में आई 108 रैंक, लेकिन नहीं चुना IAS

मेघा अरोड़ा के पिता पंजाब के डीजीपी रह चुके हैं। UPSC में 108 रैंक आने के बाद भी मेघा अरोड़ा ने IFS चुना था क्योंकि वह देश की आवाज विदेशी मंचों पर लेकर जाना चाहती थीं।

UPSC एग्जाम क्लियर करने का सपना हर पढ़े-लिखे युवा का होता है, लेकिन इसमें कामयाबी चुनिंदा लोगों को ही मिल पाती है। कई बार लगातार मिल रही असफलता से कैंडिडेट्स निराश हो जाते हैं। आज हम आपको मेघा अरोड़ा की कहानी बताएंगे। मेघा आज भले ही UPSC एग्जाम क्लियर कर सिविल सर्वेंट बन गई हैं, लेकिन उनके लिए ये सफर इतना आसान नहीं था।

मेघा अरोड़ा को UPSC CSE 2017 के एग्जाम में 108 रैंक मिली थी। ये उनका तीसरा प्रयास था और उन्होंने IAS की जगह IFS को चुना था। इससे पहले उन्होंने 2014 में पहला प्रयास दिया था। मेघा को अपने पहले प्रयास में बहुत उम्मीद थी, लेकिन वह इसमें कामयाबी हासिल नहीं कर पाईं। उन्होंने अपनी कमियों पर काम करना शुरू किया और 2015 में दूसरा प्रयास दिया। इसमें भी उन्हें सफलता नहीं मिली। सफलता तो दूर वह इन दोनों प्रयासों में प्रीलिम्स तक क्लियर नहीं कर पाईं।

मेघा अरोड़ा के पिता और मां ने भी यूपीएससी एग्जाम क्लियर किया था। मेघा के पिता सुरेश अरोड़ा पंजाब कैडर के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी हैं। वह पंजाब के डीजीपी भी रह चुके हैं। मेघा की मां सोनाली अरोड़ा भी IRS अधिकारी हैं और हिमाचल प्रदेश में अपनी सेवाएं दे रही हैं। मेघा ने स्कूली पढ़ाई करने के बाद ग्रेजुएशन अमेरिका की Emory University से की थी। इसके बाद उन्होंने MA के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन में एडमिशन ले लिया था।

क्यों नहीं चुना था IAS? मेघा से जब एक इंटरव्यू में अच्छी रैंक आने के बाद भी आईएएस नहीं चुनने के बाद बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा था, ‘मैं विदेशी मंचों पर अपने देश की आवाज लेकर जाना चाहती हूं, इसलिए मैंने फॉरेन सर्विसेज को चुना। मैंने यूपीएससी एग्जाम की तैयारी ही फॉरेन सर्विसेज के लिए की थी।’

मेघा से जब उनकी तैयारी करने के तरीके के बारे में पूछा गया था तो उन्होंने कहा था, ‘यूपीएससी की तैयारी करते हुए रिवीजन करना बहुत जरूरी है। दो प्रयासों में मुझे भी अपनी यही गलती नजर आई थी। क्योंकि मैंने रिवीजन अच्छे से नहीं किया था। रिवीजन करने का सबसे सही तरीका नोट्स बनाने का भी है। आप नोट्स बनाकर आसानी से रिवीजन कर सकते हो। कोशिश करें कि किताबें कम हों और उन्हीं में से बार-बार पढ़ाई कर सकें।’

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