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- पलायन के दर्द की तस्वीरें ‘भागेर मां’ पंडाल में आएंगी नजर; कोलकाता में बन रहे हैं 3000 दुर्गा पंडाल, जिनमें भव्यता के साथ नवप्रवर्तन का संगम है
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बरिशा क्लब का पंडाल।
पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा की भव्यता लौट रही है। कोलकाता में 3000 पंडाल बन रहे हैं, जिन्हें 50 हजार लोग सजा रहे हैं। इनमें खास होगा बरिशा क्लब का पंडाल। इसे आर्ट कॉलेज के रिंटू दास बना रहे हैं, उन्होंने पिछली बार प्रवासी मां की थीम तैयार की थी। इस बार कॉन्सेप्ट है ‘भागेर मां’।
यह 1947, 1971 और 2021 के हालात दर्शाएगा। दास ने बताया कि बांग्ला में कहावत है कि भागेर मां गंगा पाय ना….यानी बंटवारे की मां सुखी नहीं रहती। राजा वल्लभसेन ने सपना देखा कि देवी दुर्गा का शरीर ढका हुआ है, इसलिए उन्हें ढाकाई दुर्गा नाम दिया। जो ढाकेश्वरी के रूप में प्रख्यात हुआ।
1947 में देश का बंटवारा हुआ तो पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से राजेंद्र तिवारी व हरीश चक्रवर्ती मूर्ति लाए और कोलकाता में स्थापित की। पंडाल में भारत-बांग्लादेश सीमा दिखेगी। इसमें 1971 में पाकिस्तान से अलग होने के बाद बने बांग्लादेश के बॉर्डर पर पलायन का दृश्य है। गलियारे की सीलिंग पर बंटवारे के प्रभावितों की तस्वीरें हैं। मां लक्ष्मी-सरस्वती, पुत्र कार्तिकेय और गणेश के साथ कंटेनर में हैं।
पंडालों के अंदर नहीं जा सकेंगे श्रद्धालु
कोलकाता हाईकोर्ट ने कोरोना को देखते हुए दिशा-निर्देश जारी किए। इसके मुताबिक पूजा पंडालों को कंटेनमेंट जोन की तरह माना जाएगा। किसी भी श्रद्धालु को पंडाल के अंदर प्रवेश नहीं मिल सकेगा। आयाजकों को टीका लगवाना होगा। उनमें से 25 लोग ही पंडाल के अंदर आ-जा सकेंगे।
120 फीट ऊंचा बुर्ज खलीफा पंडाल, 10 करोड़ की स्वर्ण मूर्ति

श्रीभूमि क्लब, लेकटाउन इस बार 120 फीट ऊंचा बुर्ज खलीफा पंडाल बना रहा है। सेक्रेटरी डीके गोस्वामी ने बताया कि 3 महीने से स्टील शीट से पंडाल तैयार किया जा रहा है। मां की सोने की मूर्ति खास है, जो करीब 10 करोड़ रुपए में तैयार हुई है।
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