हाइलाइट्स
- आर्यन खान सुपरस्टार शाहरुख खान के बेटे हैं, पूरा देश उनको पहचानता है
- 3 अक्टूबर को गिरफ्तारी के बाद मीडिया में उनकी रोज फोटो आ रही है
- लेकिन जब वह जेल से रिहा होंगे, तो उन्हें शिनाख्त परेड से भी गुजरना पड़ेगा
मुंबई
आर्यन खान सुपरस्टार शाहरुख खान के बेटे हैं। 3 अक्टूबर को गिरफ्तारी के बाद मीडिया में उनकी रोज फोटो आ रही है। पूरा देश उनको पहचानता है, लेकिन जब शनिवार को वह आर्थर रोड जेल से बाहर आएंगे, तो उससे पहले उन्हें 4000 कैदियों के बीच शिनाख्त परेड से भी गुजरना पड़ेगा। गिरफ्तारी के दिन उनके बॉडी के कुछ निशानों को उन्हें गिरफ्तार करने वाली जांच एजेंसी को अपने कागजातों में लिखा होगा। जैसे बहुत से लोगों के शरीर पर तिल, मस्सा भी होता है। पिछले पखवाड़े जब आर्यन जेल भेजे गए थे, तो उनके साथ एनसीबी की आर्यन के बॉडी के कुछ निशानों वाली फाइल भी जेल भेजी गई थी। जेल स्टाफ एनसीबी के बताए रेकॉर्ड से आर्यन के बॉडी के निशानों का मिलान करेगा। उसके बाद ही आर्यन खान को छोड़ा जाएगा।जेल से जुड़े एक अधिकारी ने एनबीटी को बताया कि किसी आरोपी के जमानती ऑर्डर को जब जेल के बाहर लगी बॉक्स/ पेटी में डाला जाता है, तो जेल का कारकून संबंधित कोर्ट के कारकून (क्लर्क) को फोन कर वेरिफिकेशन करता है कि यह बेल ऑर्डर सही है या नहीं? ऐसा एहतियात इसलिए बरता जाता है कि कहीं कोई किसी किसी कोर्ट का फर्जी ऑर्डर बनाकर जेल पेटी में न डाल दे और किसी आरोपी को इस फर्जी ऑर्डर पर जेल से बाहर न निकाल दे।
…तो एनडीपीएस कोर्ट में चलेगा मुकदमा
रिटायर एसीपी सुनील देशमुख ने एनबीटी को बताया कि आर्यन खान को बॉम्बे हाईकोर्ट ने जमानत दी, लेकिन इस केस में साल-दो साल बाद जब मुकदमा शुरू होगा, तो वह एनडीपीएस कोर्ट में चलेगा, क्योंकि एनसीबी ने ड्रग्स केस में उन्हें गिरफ्तार किया। इस वजह से शनिवार को बॉम्बे हाईकोर्ट के बेल ऑर्डर को आर्यन के वकील इसी एनडीपीएस कोर्ट में लेकर गए। वहां बॉम्बे हाईकोर्ट के वेरिफाइड ऑर्डर की कॉपी दिखाई गई होगी।
स्योरिटीधारक जमा करते हैं ये सभी दस्तावेज
सुनील देशमुख कहते हैं कि बेल ऑर्डर की वेरिफाइड कॉपी दिखाने के बाद संबंधित कोर्ट में आरोपी की तरफ से उसके वकील को एक बेल अप्लीकेशन देनी पड़ती है कि हाईकोर्ट ने हमें बेल दी है, इसलिए हमें जमानत पर छोड़ा जाए। यह हमारी तरफ से स्योरिटी है। जैसे आर्यन को जूही चावला ने स्योरिटी दी है। स्योरिटी देने वाले को अपना आधार कार्ड, इनकम टैक्स से जुड़े सबूत या कुछ भी ऐसे दस्तावेज यह भरोसा देने के लिए देने पड़ते हैं कि हम यही स्योरिटीधारक हैं।
शाम 7 बजे के बाद क्यों आरोपी नहीं छोड़े जाते?
इसके बाद कोर्ट उस पर लिखता है कि ओके या ग्रांटेड। मतलब यह कि स्योरिटी मंजूर की जाती है। उसके बाद वह कागज लेकर संबंधित कोर्ट के रजिस्ट्रार ऑफिस जाना पड़ता है। वहां बेल बॉन्ड भरा जाता है। रजिस्ट्रार जेलर के नाम ऑर्डर निकालता है, कि इन्होंने इतना बॉन्ड भरा है और आरोपी को छोड़ दिया जाए। उस ऑर्डर की कॉपी आरोपी के वकील को जेल के बाहर लगे बॉक्स में डालनी पड़ती है। इस बॉक्स में जितने भी बेल ऑर्डर जमा होते हैं, वह दिन में दो बार निकाले जाते हैं- सुबह 7 बजे और शाम साढ़े 5 बजे। शाम साढ़े 5 बजे बॉक्स में डाले गए आरोपियों को जेल से जुड़ी जरूरी औपचारिकताओं के बाद शाम 7 बजे तक छोड़ दिया जाता है, जबकि सुबह साढ़े 5 बजे बॉक्स से जिन आरोपियों के बेल ऑर्डर निकाले जाते हैं, उन्हें भी कुछ घंटे के अंदर छोड़ दिया जाता है। शाम 7 बजे के बाद आरोपियों को क्यों नहीं छोड़ा जाता? इसके जवाब में एक जेल अधिकारी ने हमें बताया कि हर जेल में दर्जनों बैरक होती हैं और सभी बैरक को शाम 7 बजे बंद कर दिया जाता है।
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