बिहार गजट की अधिसूचनाओं से खुल रही है नीतीश के ‘सुशासन’ की पोल, फाइलें घूमती रहती हैं, दोषी को नहीं मिलती सजा

11 जनवरी, 2021 की एक अधिसूचना भी लगभग ऐसी ही है। 2013 में सिंचाई प्रमंडल- 1, जमुई के सहायक अभियंता बाढ़ संघर्षात्मक कार्य में प्रतिनियुक्त किए गए लेकिन वह न केवल अनुपस्थित रहे बल्कि बिना अवकाश गायब भी हो गए। स्पष्टीकरण पर इनसे प्राप्त कागजातों के आधार पर इन्हें आरोपमुक्त कर दिया गया। मतलब, बाढ़ की ड्यूटी पर नहीं पहुंचना अपराध नहीं था या आरोप लगाने वाले ही गलत थे।

14 जनवरी, 2021 की दो अधिसूचनाएं दो कदम आगे हैं। इसमें सुपौल में पश्चिमी तटबंध प्रमडंल, निर्मली का 2017 की बाढ़ के पहले के दो मामले में तत्कालीन सहायक अभियंता राजेश कुमार और तत्कालीन कार्यपालक अभियंता विनोद कुमार को आरोपमुक्त किया गया। उड़नदस्ता जांच दल ने निरीक्षण के बाद लिखा था कि बांध में कटाव निरोधक कार्य के तहत क्रेटेड बोल्डर पिचिंग कार्य में मानक अनुसार नहीं कराकर ठेकेदार को फायदा पहुंचाया गया। बालू भरे बैग से लगभग हर जगह काम स्तरीय नहीं किया गया जिससे तेज प्रवाह से पूरा कार्य क्षतिग्रस्त होने की आशंका है। यह भी पाया गया कि भराई का काम पूरा नहीं हुआ। अधिसूचना के अनुसार, करीब साढ़े तीन साल तक विभागीय कार्यवाही के बाद ‘अधिगम’ समर्पित किया गया जिसमें आरोप अप्रमाणित हुआ। मतलब, आंखों देखी सारी बात साढ़े तीन साल बाद अप्रमाणित हो गई। बाकी, ‘अधिगम समर्पण’ किसी आम आदमी को समझ आता हो तो वह खुद समझे। इसी समय के ऐसे ही केस में सरकारी जांच के दौरान गलत पाए गए सहरसा के पूर्वी कोशी तटबंध अंचल के तत्कालीन अधीक्षण अभियंता ओम प्रकाश को भी अब आरोपमुक्त कर दिया गया है।


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