अखंड स्वरूप के पिता का एक्सीडेंट हो गया था। इस हादसे के बाद पूरा परिवार टूट गया था। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी तैयारी जारी रखी थी।
ये कहानी है UPSC एग्जाम क्लियर कर IES बनने वाले अखंड स्वरूप की। अखंड स्वरूप का परिवार मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बरेली का रहने वाला है। वह पढ़ाई में बचपन से ही बहुत होशियार थे। यही वजह थी कि परिवार भी चाहता था कि उनका बेटा ज्यादा से ज्यादा पढ़ाई कर एक बड़ा अफसर बने। अखंड बताते हैं, मैं जिस शहर में रहता था वहां ये सब चीजें इतनी आसान नहीं थीं। कई बार किताबें नहीं मिलती थीं। ऑनलाइन भी कुछ सुविधा नहीं थी।
पिता का एक्सीडेंट: अखंड स्वरूप बताते हैं, एक बार मेरे फोन की अचानक घंटी बजी। मैंने फोन उठाया और मेरे होश उड़ गए। सामने से आवाज आई- आपके परिचित का एक्सीडेंट हो गया है और इनकी गाड़ी भी पूरी क्रैश हो गई है। आपका नंबर ही लास्ट इन्होंने मिलाया था। अब मैं समझ गया कि पापा का एक्सीडेंट हो गया है। मैं थोड़ा दूर था तो मैंने उन्हें कहा कि आप इनका फिलहाल इलाज तो करवाइए। हम पहुंचे तो पापा की हालत बहुत खराब थी और उनका लंबे समय तक इस हादसे के बाद इलाज चला।
यही वजह थी कि सरकारी नौकरी की तैयारी करने के लिए अखंड स्वरूप दिल्ली आ गए थे। यहां रहकर उन्होंने पढ़ाई करना शुरू किया और साथ में ट्यूशन के बच्चे भी पढ़ाया करते थे। अखंड ने बताया था, जब भी मैं ट्रेन से सफर किया करता था तो पढ़ाई किया करता था। एक समय तो ऐसा भी आ गया था कि ट्रेन के टीटी भी मुझे पहचानने लग गए थे। वो सवारियों को कह देते थे कि ये बच्चे रात में पढ़ाई करेगा अगर आप लोग चाहें तो मैं आपकी सीट बदलवा देता हूं।
अखंड स्वरूप ने इसके बाद यूपीएससी ESE में 144 रैंक हासिल कर IES बने थे। उन्होंने बताया था कि जब वह पहली बार दफ्तर पहुंचे तो हैरान रह गए क्योंकि उनसे दोगुनी उम्र के लोग भी खड़े होकर उन्हें सैल्यूट कर रहे थे। ये कोई पहली बार नहीं थी जब उन्होंने सरकारी नौकरी का कोई एग्जाम क्लियर किया था। इससे पहले वह ये एग्जाम भी क् लियर कर चुके थे।
ग्रैजुएट एप्टीट्यूड टेस्ट इंजीनियरिंग/ GATE (ऑल इंडिया रैंक 6)
नेशनल एलिजीबिलिटी टेस्ट/ NET (ऑल इंडिया रैंक 3)
मध्य प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन/ MPPSC (स्टेट रैंक 4)
हिमाचल प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन/ HPPSC (स्टेट रैंक 3)
उत्तर-प्रदेश हाउसिंग एंड डेवलपमेंट बोर्ड/ UPHDB (स्टेट रैंक 1)
स्टाफ सिलेक्शन कमीशन/ SSC (स्टेट रैंक 1)
मुंबई मेट्रो स्टेट रैंक 1
हालांकि उन्होंने इसके बाद IES की नौकरी भी छोड़ दी थी और Catalyst ग्रुप की स्थापना की थी। उन्होंने बताया था कि वह शुरू से ही बच्चे पढ़ाना चाहते थे। इसलिए उन्होंने नौकरी छोड़कर बच्चों को पढ़ाना शुरू किया था। बाद में अपने ग्रुप की स्थापना की, जिसमें जिम, एजुकेशन और फूड्स पर ध्यान दिया जाता है।
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