नीति को व्यवहार में लाने वाला ग्राम स्वराज अभियान  

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राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण V (2019-21) से पता चलता है कि बिजली, पूर्ण टीकाकरण, महिलाओं के लिए बैंक खातों और उज्जवला एलपीजी गैस कनेक्शन तक लोगों की पहुंच बढ़ गई है। इस हेतु 2018 में दो चरणों में ग्राम स्वराज अभियान चलाया गया था, और इन चरणों में 63,974 गांवों में सात प्रमुख सेवाओं की पहुँच को सुनिश्चित किया गया था।

हाशिए पर स्थित ग्रामों तक पहुंच –

चुने हुए गांव हजार से अधिक जनसंख्या वाले बड़े गांव थे। यहां अनुसूचित जाति, जनजाति के लोग लगभग 50% थे, जिनमें से वंचित अधिक थे। इन्हें ऊपर सूचीबद्ध चार सेवाओं सहित एलईडी बल्ब, दुर्घटना बीमा, जीवन बीमा भी दिए गए।

इस वितरण हेतु टीम वर्क के माध्यम से पब्लिक डोमेन में फॉलोअप की आसानी के लिए गांव-विशिष्ट डेटा के साथ एक रीयल टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम स्थापित किया गया था।

कुछ गांव अभी भी छूट गए हैं। परंतु अधिकांश को नीति का लाभ मिल सका है।

प्रयास –

गांव दर गांव, समस्याओं के समाधान के लिए अनेक प्रयास किए गए। बिजली के खंभों को कंधों पर लादकर पहुँचाया गया, आवश्यक केबल और सिलेंडरों की कमी को दूर किया गया, कागजी कार्रवाई को तेज किया गया।

हर शाम समस्या समाधान के लिए वीडियों कॉल का आयोजन किया गया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हर समस्या का प्रभावी समाधान किया जा रहा है। बजट तैयार किए गए और खरीद को समयबद्ध किया गया। तेल कंपनियों के अध्यक्षों से लेकर बैंक प्रबंधकों और चिकित्सा अधिकारियों तक, हर कोई उम्मीद पर खरा उतरने की कोशिश में था।

स्थानीय स्तर पर उत्साह –

स्थानीय समुदायों के उत्साह ने वास्तविक अंतर बनाया। पंचायत नेताओं और आजीविका मिशन के महिला समूहों के माध्यम से समुदाय और नागरिक समाज के सामंजस्य ने नीति को कार्रवाई में बदलने के प्रयासों को सफल बनाया।

यदि स्वतंत्र सर्वेक्षणों को देखें, तो सामुदायिक जुड़ाव, प्रौद्योगिकी और स्पष्ट समय सीमा के साथ एक गहन निगरानी प्रणाली से अंतिम सोपान की चुनौतियों का समाधान किया गया।

इस अभियान ने सबसे कठिन क्षेत्रों में सबसे अधिक वंचितों पर ध्यान देकर, सामाजिक और क्षेत्रीय अंतराल और असंतुलन को पाट दिया है। ऐसा करते हुए, इसने एक ऐसा मॉडल तैयार कर दिया है, जो सामुदायिक जुडाव, विकेंद्रीकरण, प्रौद्योगिकी के उपयोग और इसके मूल में पारदर्शिता के साथ कई अन्य क्षेत्रों में काम कर सकता है।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित अमरजीत सिन्हा के लेख पर आधारित। 25 मई, 2022

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