जी-20 का आर्थिक सहयोग एजेंडा

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जी-20 शिखर सम्मेलन ऐसा महत्वपूर्ण मंच है, जहाँ बड़े-बड़े भू-राजनीतिक दांव लगाने वाले देशों के नेता मिलते हैं, और चर्चा करते हैं। हाल ही में बाली में हुई इसकी बैठक और भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहाँ जारी घोषणापत्र के अनुसार भारत को फिलहाल इस समूह की अध्यक्षता करनी है।

कुछ विशेष बिंदु –

  • इस घोषणा के अधिकांश सदस्य देशों ने यूक्रेन के खिलाफ युद्ध के लिए रूस की कड़ी निंदा की है। चीन के साथ भारत इस निंदा से अलग रहा है। सितंबर में हुए संगठन के शिखर सम्मेलन में भारत ने रूस की आक्रमकता का कूटनीतिक समाधान खोजने के लिए पहल की थी। बाली में भी भारत अपनी इसी नीति पर टिका रहा है।
  • इस संदर्भ में भारत ने युद्ध के चलते बढ़ते वैश्विक आर्थिक संकट को लेकर विकास में बाधा, बढ़ती मुद्रास्फीति, आपूर्ति श्रृंखलाओं की बाधा, ऊर्जा और खाद्य असुरक्षा के बढ़ने और वित्तीय स्थिरता के जोखिमों का हवाला दिया है।

भारत का मानना है कि अन्य देशों ने रूस पर जो प्रतिबंध लगाए हैं, वे अनुपयोगी हैं। साथ ही भारत का ध्यान कोविड पश्चात जन्मे खाद्य व ऊर्जा सुरक्षा संकट जैसी प्राथमिकताओं की ओर है। वास्तविकता यही है कि यह युद्ध का युग नहीं है, और इस विसंगति का अंत किया जाना चाहिए।

‘द इकॉनॉमिक टाइम्स’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 17 नवंबर, 2022

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