जैव विविधता पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन

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सीओपी – 27 की तर्ज पर हाल ही में मांट्रियल, कनाडा में जैव विविधता सम्मेलन आयोजित किया गया। ग्लोबल बायोडायवर्सिटी फ्रेमवर्क के नाम से होने वाले इस सम्मेलन में 196 देशों ने भाग लिया है। सम्मेलन के कुछ मुख्य बिंदु –

  • सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे चीन की ओर से मसविदा जारी किया गया। इसमें 2030 तक जैव विविधता के लिए अहम् मानी जाने वाली कम से कम 30% भूमि और जल के सरंक्षण का आह्नान किया गया है। फिलहाल 17% भूमि और दस प्रतिशत समुद्री क्षेत्र संरक्षित दायरे में माने जाते हैं।
  • पृथ्वी पर विभिन्न लुप्तप्राय प्रजातियों के सरंक्षण, जलवायु परिवर्तन के गंभीर और घातक असर के साथ प्रदूषण को कम करने के लिए की जाने वाली कोशिशों में और तेजी लाने की बात कही गई है।
  • यह भी सहमति बनी है कि दुनिया में भूमि और जल संरक्षण सहित जैव विविधता को बचाने के लिए विकासशील देशों को धन मुहैया कराने के जरूरी उपाय किए जाएंगे।
  • खाद्यान्न की बर्बादी में 50% कमी लाने का लक्ष्य रखा गया है।

भारत एक जैव-विविधता समृद्ध देश है। यह उत्तम अवसर है, जब भारत इससे जुड़ी एक बहुआयामी योजना विकसित करे। इसमें जैव-विविधता के नुकसान को रोकने के विभिन्न पहलुओं को संबोधित करे। कार्यान्वयन और अनुपालन के लिए संस्थागत ढांचों को स्थापित करके उन्हें सुदृढ़ बनाया जाये।

भारत को उन सब्सिडी को खत्म करने पर भी बातचीत करनी चाहिए जो उसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर निशाना बना रही हैं। राजकोषीय व अन्य नीतियों के मानकों को इस प्रकार से विकसित करने की शुरूआत कर देनी चाहिए, जो जैव विविधता के अनुकूल हों।

यह प्रकृति और उससे जुड़े लाभों के महत्व को समझकर आगे बढ़ने का अचूक अवसर है। यहाँ यह याद रहना चाहिए कि जैव विविधता संरक्षण का बोझ आर्थिक विकास पर कभी नहीं पड़ता है। भारत को आगे बढ़कर, जैव विविधता समृद्ध विकासशील देशों के साथ एक ऐसा तंत्र विकसित करना चाहिए, जो सभी का कल्याण कर सके।

विभिन्न समाचार पत्रों पर आधारित। 21 दिसंबर, 2022

 

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