To Download Click Here.
हाल ही में अमेरिका ने एक चीनी गुब्बारे को मार गिराया है, जो उसकी सीमा में जासूसी करने के लिए उड़ रहा था। भले ही चीन जासूसी के आरोपों का खंडन करते हुए इसे मौसम-निगरानी उपकरण बताने की दुहाई दिए जा रहा है, लेकिन गुब्बारे की घटना से यह बिल्कुल स्पष्ट है कि चीनी जासूसी तकनीक तेजी से परिष्कृत होती जा रही है। पिछले वर्ष श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पर चीनी जासूसी जहाज, शोध-पोत के रूप में लंगर डाले हुए था। यह उसकी बढ़ती जासूसी क्षमताओं का ही उदाहरण है।
दूसरा बिंदु, यह सोचने वाला है कि चीन के निरंकुश साम्यवादी शासन में, सरकार और नागरिक संपत्ति के बीच का अंतर कम होता जा रहा है। ऐसा देखने में आ रहा है कि वहां की सरकार; जासूसी, डेटा-संग्रह और ग्रे-जोन रणनीति को अंजाम देने के लिए नागरिक संसाधनों का भी इस्तेमाल कर रही है। चीनी असैन्य एजेंसियों और व्यवसायों के साथए किसी भी प्रकार के सहयोग को इस प्रकाश में देखे जाने की जरूरत है।
2020 में शेनजेन की एक तकनीकी कंपनी की जांच से पता चला था कि वह भारत के लगभग 10,000 प्रभावशाली लोगों का डेटा इकट्ठा किए हुए है। यह सब देखते हुए भारत को अत्यधिक सतर्कता बरतने की आवश्यकता है। इस हेतु हमें भी अपने जासूसी और इसका पता लगाने वाले उपायों को हाई-टेक बनाना चाहिए। उपलब्ध जानकारी बताती है कि अभी भारत इसमें बहुत पीछे चल रहा है। साथ ही, भारत को चीन के षड्यंत्रों का मुकाबला करने के लिए अमेरिका और अन्य समान विचारधारा और जरूरतों वाले लोकतंत्रों के साथ खुफिया सहयोग करना चाहिए।
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 6 फरवरी, 2023
The post आकाश में जासूस appeared first on AFEIAS.
एक टिप्पणी भेजें