8% विकास दर चाहिए

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सरकार ने 2023 में 5% की वार्षिक आर्थिक विकास दर का लक्ष्य रखा है। पिछले 25 सालों में यह सबसे कम है। यह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के 5.2% के पूर्वानुमान से भी कम है। इसे बढ़ाया जाना चाहिए।

चीन की तुलना में भारत की विकास दर-

चीन में विकास का चरम दौर समाप्त हो चुका है। इसकी विकास दर लगातार गिरती जा रही है। 2028 तक इसके 3% से थोड़ा और नीचे जाने का अनुमान है। इसके बावजूद 2022 में 19.2 खरब डॉलर के जीडीपी के साथ चीन मजबूती से खड़ा हुआ है। चीन की आर्थिक चुनौतियों का एक बड़ा कारण उसकी गिरती जनसंख्या दर है। 60 वर्षों में यह सबसे अधिक गिरी है। यहाँ के लोग अमीर हुए बिना ही वृद्ध हो चले हैं। फिर, चीन ऐसा देश नही है, जहाँ अमेरिका की तरह कुशल अप्रवासी रहना चाहें।

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार भारत की लगभग 12 करोड़ जनसंख्या 15-19 आयु वर्ग की है। जबकि चीन में यह 30-34 आयुवर्ग की है। भारत की जीडीपी, चीन की जीडीपी का पांचवां हिस्सा है। आर्थिक सर्वेक्षण से पता चलता है कि मध्यम अवधि में भारत की विकास दर 7-8% तक पहुँच सकती है।

भारत की आर्थिक नीतियों की दिशा जनसांख्यिकीय लाभांश के पूरे उपयोग की ओर होनी चाहिए। हमारी युवा जनसंख्या को रोजगार के क्षेत्र में पर्याप्त अवसर तभी मिल सकेंगे, जब मध्यम अवधि में विकास दर का लक्ष्य 7-8% रखा जाएगा।

सकल घरेलू उत्पाद के स्तर के संदर्भ में मात्रात्मक (क्वान्टिटेटिव) लक्ष्य निर्धारित करने के बजाय, विकास दर बढ़ाने पर फोकस होना चाहिए। चीन और भारत की अर्थव्यवस्था के बीच के गैप को भरने का एकमात्र उपाय यही है।

‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित संपादकीय पर आधारित। 10 मार्च, 2023

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